अघोर स्तम्भन तंत्र साधना कैसे करें ?

मंत्र : “ॐ नमो भगबते श्मशानरुद्राय सर्ब जगद् ब्यापकाय ह्रौं
सर्ब दुष्टानां श्रोग गात्रनेप्रयति बाक्यानि, सखेइन्द्रयाणि
स्तम्भय स्तम्भय हाँ श्मशान रुद्राय खिप्रसंत्राय एहि
एहि जिह्बां स्तम्भय स्तम्भय ह्रीं ह्रीं स्वाहा ।”

Aghor Stambhan Tantra Vidhi :

उपरोक्त मंत्र श्री जगतगुरु आदिनाथ कथित है । इसे प्राचीन स्वयं सिद्ध एबं परम आश्चर्यजनक माना गया है । इस अघोर स्तम्भन तंत्र (Aghor Stambhan Tantra) से स्तम्भन कार्य किया जाता है । जो देश द्रोही एबं राष्ट्रबिरोधी ब्यक्ति के लिये उसे उसकी मूर्खता करने पर सबक सिखाने के लिये प्रयोग में लिया जाता है । भगबान आदिनाथ कहते हैं कि इस मंत्र का स्मरण मात्र से पापी मनुष्य को तुरंत स्तम्भन किया जा सकता है । इस मंत्र को कृष्णपक्ष में किसी रबिबार या मंगलबार की रात्रि में श्मशान भूमि पर बैठकर सिद्ध करें तथा गुरुद्वारा बताई गई बिधि का ही उपयोग करे जो साधक को केबल दीख्या लेने के उपरान्त ही बताई जाती है । उस बिधि से यह प्रयोग शुरू करें एबं उक्त मंत्र का 10 हजार जप करे और मंत्र का जप करते हुये पीली बस्तुओं होम करें इससे सिद्धि प्राप्त होती है । इसमें कोई संदेह नहीं है
साधक ताडपत्र पर साध्य ब्यक्ति का नाम लिखे । फिर सूअर के दूध में भिगोकर मंत्र के द्वारा आबेष्टन करें और फिर उसे पीसकर लेपन कर लें । इसके उपरांत उक्त मंत्र का उचारण करके हबन करने के बाद 10 हजार मंत्र से तर्पण भी करना चाहिये । इस योग को साधक मंगलबार की रात्रि में आरम्भ करके शुक्रबार को पूर्णाहूति दें तो देबता समान प्रचण्ड बक्ता शत्रु का भी तन मन जिह्वा का स्तम्भन हो जाता है ।
नोट : यह अघोर स्तम्भन तंत्र प्रयोग (Aghor Stambhan Tantra Prayog) बिना गुरू के न करे अन्यथा लाभ की जगह हानि उठानी पड सकती है । अछा होगा कि आप योग्य ब्यक्ति से जानकारी लें यह अघोर तंत्र का प्रयोग हैं, ध्यान रखें ।
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