भगबती मसाणी मेलडी मैली बिद्या ब बराटी प्रयोग निबारण :

बराटी प्रयोग (Barati Prayog) के द्वारा किया करबाया कामाया जाल कट जाता है । इस बराटी प्रयोग (Barati Prayog) का जिस ब्यक्ति ने प्रयोग किया होगा पुन: उसके पास लौट जाता है । ऐसे बराटी प्रयोग  (Barati Prayog) श्मशान की शक्तियों के द्वारा किये जाते हैं । इस्में मुख्य से प्रेत आत्मा को सिद्ध करके तंत्र से भेजते हैं या फिर बाबन बीरों के प्रयोग भी किये जाते हैं ।
 
जिसमें रिकतिया बीर, मसाणिया बीर, नारसिंगा बीर, बाबरा , टूटीया, डाकणियां, कलबा बीर, खोडा बीर, अग्निया बीर, झोपडा आदि के प्रयोग अधिक प्रचलित रहे हैं । ये बराटी प्रयोग (Barati Prayog) बराटी बिद्या के नाम से भी जाने जाते हैं ये साधनायें बाम मार्गी साधक करते हैं । लोग ऐसे बराटी प्रयोग (Barati Prayog) आपसी शत्रुता के कारण करते हैं या करबाते हैं । इससे साध्य ब्यक्ति का बहुत बडा नुकसान होता है या फिर पूरे परिबार का नाश हो जाता है । समय पर इसका निबारण नहीं करबाया तो जिस पर बराटी प्रयोग (Barati Prayog) किया जाता है, उसका बचना मुशिकल होता है । इस बराटी प्रयोग (Barati Prayog) का कोई भरोसा नहीं होता की यह कब और कैसे साध्य को हानि पहुंचा सकता है । इसकी जड तक पहुंचना हरेक के बस का कार्य नहीं है । ये बराटी प्रयोग (Barati Prayog) उग्र प्रयोगों में आते हैं । जिस घर में इसको भेजा जाता है उसका जीना हराम हो जाता है । इस प्रकार के बराटी प्रयोग (Barati Prayog) करने से घर में अचानक ब्यक्ति बिमार हो जाता है और कुछ ही समय में रक्त की उलटी करके मर जाता है ।
 
कभी कभी परिबार में सभी लोग बिना बजह ब बिना किसी कारण के भी आपस में एक दुसरे को मारन मरने पे उतर जाते हैं । उनका मानसिक सन्तुलन ठीक नहीं रहता हमेशा मस्तक पर भारी बोज रहता है और चिडचिडापन महसूस होता है । अपने आपसे भी ब्यक्ति को नफरत होने लगती है । अपने परिबार बालों से घृणा होती है । बिना मतलब के क्रोध करके संकट पैदा कर देता है एबं जिस परिबार पर ऐसे क्रिया की जाती है । उसके घर में गन्दगी की और उल्टी सीधी खुश्बू आती रहती है और अगर महिला गर्भबती होगी तो बच्चा पेट में ही मर जाता है या जन्म के उपरान्त कुछ ही दिनों में उसकी मौत हो जाता है और परिबार के सदस्य में नई नई बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं और इलाज करबाने पर इसकी जड का पता चलता । उल्टा पैसे फाल्तु खर्च होते हैं । साध्य ब्यक्ति कोई भी कार्य करने जायेगा या करेंगे लेकिन परिणाम नुकसांदायक ही होगा किसी के तो घर में अचानक छत का फटकर गिर जाना या घर में आग लग जाना या फिर रोगी स्वयं आत्म हत्या भी कर देता है । ऐसी कई उल्टी सिद्धि हरकते होती है । उन सब से बचने के लिये किसी जोग्य ज्ञानी ब्यक्ति से परामर्श शीघ्र लेना अति आबश्यक है ।
 
यह जानकारी ब्यक्ति ही आपको बता जायेगा कि यह कोई बीमारी का हिसा है या मैली शक्तियों का प्रयोग है । अगर बिमार होगा तो केबल डां. से ही इलाज हो सकता है । परन्तु किया करबाये का होगा तो जानकारी साधक ही सही कर पायेगा । इसकी परख करके ही हमें इलाज करबाना चाहिये अब में प्रयोग यन्हा बता रहा हुं, लेकिन अगर किया करबाया का पता चला जाये तभी यह करे अन्यथा न करें । बीमारी हो तो डांकटरों से इलाज करबाना अति आबश्यक होगा । बिना सोचे समझो उलटा सीधा न करें । क्योंकि लोगों ने तंत्र के नाम पर बहुत बडा अन्ध बिश्वास भी फैला रखा हैं । इससे बचें । केबल सत्य को जानकार ही प्रयोग करना चाहिये ।
 
रबिबार की रात्रि 10 बजे एक मिट्टी का बर्तन लायें उसमें काली गाय के गोबर को, मुत्र को और दूध को, एक लौठा गंगाजल को मिला लें फिर नीम की पांच बीटी लेकर उस बर्तन बाले गौमुत्र आदि से पूरे घर में और सभी जगह छीटें देबें । साधक छिडकता हुआ अपने दरबाजे की और जाये जब सभी जगह छिडकते छिडकते दरबाजे पर पहुंचे तब उस बर्तन को अपनी सीमा से दो कदम की दूरी पर गैट से बाहर रख दें घर में ना लाये । केबल अकेले ही घर में आये फिर पबित्र होकर आसन लगाकर पशिचम की और मुख करके बैठ जाये और चार सुखे नारियल जलाबें एक अपनी कुल देबी के लिये, एक कुल देबता के लिये, एक मेलडी माता का, एक भगबान श्री कृष्ण का, ये चारों अलग अलग बर्तन में जलाबें । फिर एक लौटे में पंचामृत भरकर सामने रखें और गाय के कण्डों पर गूगल धूप, चन्दन धूप, बतीसा धूप, कपूर , आसापूरी धूप, इन पांचों को जलाबें। फिर अपने परिबार के सभी सदस्यों को एक साथ पास में बैठालें उन सब का मुख दखिण की और करबालें । फिर साधक उस पंचामृत को अपने पूरे घर में छिडक लें और पुन आसन पर आकर बैठ जाये । फिर जो चारों नारियल जलाये थे उनमें चन्दन धूप, गूगल धूप, बतीसा और घी मिलाकर धूप लगायें और आशा पूरी होने पर घूप डालें एबं कपूर आदि डालें ये चारों धूपेलों में जो एक मेलडी की है एक भगबान् श्री कृष्ण की और दो जोतें कुल देबी और कुल देबता की है । इन चारों पर धूप डालने के उपरान्त एक पीतल के परात में चारों देबों के नाम की चारों नारियल की जलाई जोतों को रखकर अपने घर के चारों कोनों में एक बार घुमाये फिर पुन: लाकर उसकी जगह रख दें जहाँ पर अपने कुल देबता का स्थान हो या जहाँ पर साधक ने आसन लगाया है बहीं पर अपने सामने रख दें । फिर एक लौटे में शुद्ध जल भरकर उसमें कपूर और कुम्कुम डालें फिर अपने परिबार के सभी ब्यक्तियों के उपर से 21 बार उतार लें और अपने घर या स्थान के गेट दरबाजे के बाहर जाकर सूर्योदय की दिशा में फेंक दें । इस क्रिया के उपरान्त सभी सदस्यों को एक आसन पर एक साथ बैठाकर उनके उपर से एक जलती जोत उतारे । जोत मिट्टी के बर्तन में जलाबें । यह जोत सूखे नारियल की जलाई जाती है । जिसको खोपरा भी कहते है । इस प्रकार यह प्रयोग (Barati Prayog) करने से सभी प्रकार की मैली शक्तियों का निबारण हो जाता है । लेकिन प्रयोगकर्ता जानकर एबं सिद्ध साधक होना चाहिये अन्यथा स्वयं भी संकट में पडेगा और साध्य ब्यक्ति के परिबार बालों को संकट में डाल देगा । यह प्रयोग हरेक ब्यक्ति न करें । करने से पहले योग्य गुरुजनों से परामर्श अबश्य लेंबें । ऐसे तो मेलडी सिद्धि बाले साधक के लिये ही उपयोगी माना गया है । क्योंकि माता मेलडी समस्त मैली क्रियाओं को काटने के लिये सदा तत्पर रहती है और जो मेलडी को प्रसन्न ब सिद्ध कर लेते हैं उनके लिये यह प्रयोग आसन ब सफल माना जाता है । यह बराटी प्रयोग (Barati Prayog) मेरा आजमाया हुआ गुप्त प्रयोग है । आप साबधानी से करे ।

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जय माँ कामाख्या

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