डाकिनी साधना और तांत्रिक विद्या

डाकिनी साधना एक अत्यंत गभीर और गूढ़ आध्यत्मिक प्रथा है ,जो हिन्दू और तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपराओं में गहरे रूप से प्राप्त है ।”डाकिनी” शव्द एक माता देबता या आत्मा के परिबर्तक ऊर्जा , ज्ञान और बोध के साथ जुड़ा होता है । डाकिनी अकसर शक्तिशाली और सुन्दर प्राणियों के रूप में चित्रित होती है जो साधको उनके आध्यत्मिक यात्रा पर मार्गदर्शन करती है । डाकिनी साधना में साधक की चेतना की प्रति बदलाब करने की आदर्श और मुक्तिप्रद प्रतियोगी और परिणामकारी प्रभाब के लिए किए जाने बाली रितुअल्स , ध्यान ,मंत्र और दृश्यचित्रण का संयोजन है । यह अभ्यास साधक की चेतना पर गहरे प्रभाब और आत्म जागुरकता के लिए प्रसिद्ध है । यह ऊर्जा ध्यान और भक्ति की संकल्पना माध्यम से आत्म -जागरूकता और स्व -ज्ञान की और जाने के लिए एक मार्ग है ।
यह साधना किसी जोग्य गुरु की देख रेख में करना अत्यंत लाभप्रद रहेगा । साधना काल में बहुत भयानक रूप दृश्यमान होगा , और साधना काल में बहुत कुछ बिचित्र घटना घटित होता है ।उसमे आप बिचलित ना होकर साधना बजाय रखना चाहिए । साधना काल में जितना सम्भब उतना कम बोलो , धर्म कर्म की प्रति रूचि रखना चाहिए ।
स्थान : सम्शान या निर्जन बन
समय : कृष्ण चतुर्दशी अर्ध्र्रात्रि

Dakini Sadhna Samagri :

मांस, मदिरा, रक्तचंदन, खोपडी, लालरक्तिम पुष्प, कुमकुम, सरसो क तेल, नारियल का गोला, किश्मिश, सुखे मेबे, लाल चंदन कि माला आदि ।

Dakini Sadhna Vidhi :

किसी सम्शान या निर्जन बन मे सिंदूर और सरसो के तेल को मिलाकर साधनास्थल को मुल मंत्र को पढ्ते हुए घेरा लगाये । साम्ने मुर्ति स्तापित करके तेल का दीपक जलाकर देवी की पुजा करे । पुजा मे उपजुक्त सामग्रि प्रयुक्त करे । तत्पास्चात खोपडि स्तापित करके सिंदूर लगाकर उसकि भी पुजा करे । पुजा के बाद पुर्बोकि बिधि से नारियल की जटाओ को जलाकर हवन करे! हबन मुल मंत्र से 108 बार करे ।

Dakini Sadhna Mantra :

डाकिनी साधना मंत्र :-“ ऑम क्रीं क्रीं क्रीं क्लीं ह्रीं एं डाकिनी हुं हुं हुं फट स्वाहा ।”
 
पुजा मे प्रतेक मंत्र के बाद खोपडि पर तेल-सिंदूर आदि लगाये । डाकिनी की साधना का अर्थ इस शक्ति को नियंत्रित करना है । इस शक्ति के नियंत्रित होने पर साधक भुत, प्रेत, पिशाच आदि को नियंत्रित कर सक्ता है । बह इसे किसि व्यक्ति के कल्याण के लिये प्रयुक्त कर सक्ता है । डाकिनी की सधना मे पुजा होम के बाद 1188 मंत्र से प्रारभ करके प्रतिदिन 108 मंत्रो को बढाये और 108 दिन तक करे । समय क निर्धारण सिध्हि मिलने तक का है!
Benefits Of Dakini Sadhna :
डाकिनी सम्शान या नीरबता की शक्ति है । यह भुत, प्रेत, पिसाच ,किन्नर, गंधर्व सभी को बश मे करती है । संतान ,धन,भोग, के साथ-साथ यह ज्ञान एबं बुद्धि तथा कलात्मकता को भी प्रदान करती है । इसकी सिद्धि के बाद साधक इससे अस्म्भब कर्यो को भी सिद्ध कर सकता है ।
Dakini Sadhna Vishesh :
1. सधना मे साबधानिया बर्ते ।
2. कामभाब पुर्ण्तया बर्जित है ।
3. डाकिनी पह्ले साधक को डराती है,फिर तरह तरह के मोहक रुपो मे भोग केलिये प्रेरित करती है,इस्के भय या प्रलोभन से बचे ।
4. जिसने खुद के मस्तिस्क को पुर्ण्तया निस्क्रिय करके खुद अपने रक्त की प्रब्रुति ( गति आदि ) क निरोध कर लिया,बहि डाकिनी का सधक बन सक्ता है, मस्तिस्क को सुन्य किये बिना डाकिनी सिद्ध नहि होती ।
5. निरन्तर अभ्यास से डाकिनी को सिद्ध किया जा सक्ता है । यदि कभी साधना भंग हो गयी, तो भी निराश न हो, प्रयत्न पुन: जारी रखे ।
6. इस सिद्धि (Dakini Sadhna) से भबिस्यदर्शन होता है । अपना भी दुसरो का भी । किसी को उसका भविस्य न बताये ।
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जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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