श्री दुर्गा सप्तशती कवच प्रयोग कैसे करें ?

Shri Durga Saptshati Kavach Prayog Kaise Karein ?

1. प्रतिदिन तीनों संध्याओं में इस श्री दुर्गा सप्तशती कबच (Durga Saptshati Kavach) का पाठ करने बाला मनुष्य बड़े से बड़े संकट से भी सरलता से मुक्त हो जाता है ।

2. यदि कोई मनुष्य आसन्न मृत्यु संकट में पड़ गया हो तो उसके निमित्त किसी योग्य ब्रामण द्वारा संकल्प लेकर इस दुर्गा सप्तशती कबच (Durga Saptshati Kavach) का एक सौ आठ पाठ, घृत का अखण्ड दीप जलाकर किया जाय तो बह मनुष्य मृत्यु संकट से नि:सन्देह मुक्त हो जाता है । पाठ के आदि तथा अन्त में नबार्ण मंत्र का एक सौ आठ बार जप न्यासादि सहित अबश्य करना चाहिए ।

पाठदि से पूर्ब माँ का पुजनादि (कम से कम पंचोपचार) करना सामान्यत: अनिबार्य कर्म होता है ।

3. यदि कोई मनुष्य प्राय: अस्वस्थ (बीमार) चल रहा हो तथा निरन्तर दबा –चिकित्सा करते रहने पर भी स्वास्थ्य लाभ न कर पा रहा हो तो किसी चाँदी के पात्र में तीर्थ जल (गंगा –यमुना आदि पबित्र नदियों का जल ) लेकर, कबच (Durga Saptshati Kavach) का पाठ करते हुए उस जल को कुश के द्वारा उस रोगी ब्यक्ति पर छिड़के । इस क्रिया को चालीस दिनों तक नियमित रूप से करें । माँ दुर्गा की कृपा से प्रत्यक्ष चमत्कारिक प्रभाब दिखाई पड़ेगा और ब्यक्ति शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ करेगा ।
बिशेष – यदि कोई ब्यक्ति भारी बिपति में पड़ा हो, उसके प्राण संकट में पड़े हो अथबा बह किसी दु:साध्य प्राण-घातक बीमारी से ग्रस्त हो तो उसके उद्धार हेतु

Durga Saptshati Kavach Path Purb Ganapati Mantra :

रक्ष –रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक ।
भक्तानामभयडकर्ता त्राता भबभबार्णबात् ।।

को बोलकर एक सौ आठ बार “ॐ जूं स:” का उचारण (जप) करके “बटुक भैरब अष्टोतर शतनाम” का पाठ करें फिर कबच का पाठ करें ।तदुपरान्त पुन: (यथा संख्या कबच का पाठ करके) बटुक भैरब अष्टोतर शतनाम का पाठ तथा “ॐ जूं स:” मंत्र का एक सौ आठ बार जप करें ।

4. प्रात: काल भगबती दुर्गा का स्मरण करने से सभी संकटों तथा दुखों का नाश होता है, इसीलिए इन्हें दुर्गति नाशिनी कहा जाता है । अत: प्रात: उठते ही शय्या पर बैठे -बैठे ही मनुष्य को नब दुर्गा नाम स्मरण रूप इस श्लोक का पाठ करना चाहिए । अपनी इच्छा ब समयानुसार एक से अधिक बार भी पाठ किया जा सकता है ।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायिनी च ।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नबमं सिद्धिदात्री च नबदुर्गा नमाम्यहम् ।।

।। इति श्री दुर्गा सप्तशती कबच प्रयोग: ।।

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दूसरों तथा स्वयं की सुख –शान्ति चाहने बालों के लिए ही यह दुर्गा सप्तशती कबच दिया गया है । इसमें दिए गये यंत्र, मंत्र तथा तांत्रिक साधनों को पूर्ण श्रद्धा तथा बिश्वास के साथ प्रयोग करके आप अपार धन –सम्पति, पुत्र –पौत्रादि, स्वास्थ्य –सुख तथा नाना प्रकार के लाभ प्राप्त करके अपने जीबन को सुखी और मंगलमय बना सकते हैं ।

तंत्राचार्य प्रदीप कुमार (मो) +91- 9438741641 (Call /Whatsapp)

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