जिव्हां बंधन मंत्र

Jihwa Bandhan Mantra :

जिव्हां बंधन मंत्र (Jihwa Bandhan Mantra) : ” ॐ ह्रीं रक्ष रक्ष चामुंडे अमुक मुख स्तम्भनं कुरु कुरु स्वाहा ।”

उपरोक्त मंत्र (Jihwa Bandhan Mantra) सबा लाख बार जप कर सिद्ध करे फिर पुष्य नक्ष्त्र रबिबार में मुलहठी की जड़ लेकर तीन बार मंत्र पढ़कर भीड़ में फेंके तो सब ब्यक्तियों का मुख स्तम्भित हो जाता है ।

@ ॐ नमो ह्रीं बगलामुखी सर्बदुष्टानां मुखं स्तम्भन जिव्हां आलय बुद्धिं बिनाशने ओं स्वाहा ।

उपरोक्त मंत्र सबा लाख बिधिपुर्बक जपें फिर एक थाल में शुद्ध घी भरकर हल्दी से ष्टकोंण यन्त्र बनाकर छहों कोणों में ‘ओं’ लिखकर सामने धरें फिर दशांश होम करें । यह मंत्र शत्रु की जुबान बन्द करने का है ।

@ अफल अफल अफल दुश्मन के मुंह कुफल मेरे हाथ कुंजी रुपया तोरे दुश्मन को जर कर ।

शनिबार के सात रात धूप दीप जलाकर फूल बताशा लेकर हजार बार होम करें फिर 108 बार मंत्र पढ़कर जिसके भी सामने जाये तो बह बोल न सकेगा ।

@ ॐ ह्रीं रक्षक चामुंडे कुरु कुरु, ‘अमुक’ मुख स्तम्भनं कुरु ।
पलाश की जड़ ताड़ के पत्ते में लपेट 21 बार जिव्हां बंधन मंत्र पढ़कर शत्रु के सम्मुख जाये तो स्तम्भित हो जाये। अमुक के नाम पर शत्रु का नाम लें ।

@ श्वेत गुंजा की जड दाहिनी भुजा में बाँध कर जाने से स्तम्भन होता है ।

@ दूध निकलने बाले बृक्ष की पांच अंगुल की एक कील भरणी नक्ष्त्र में बनाकर नौका के छेद में डाले तो नाब नहीं चलती है ।

@ कृष्ण चतुर्दशी को धतूरे की जड़ लायें रति समय कमर में बांधे तो गर्भपात नही होता है।

@ “ॐ नमो आदेश गुरु को ओं नम: आदेश अंग में बाँधि राख, नरसिंह यती मोसतें बाँधि राख श्री गोरखनाथ कांखते बाँधि राख, ह्पूलिका राजा सुण्डी से बाँधि राख दृढासन देबी यही मन पबन काया को राख थमे गर्भ आ आ बांधे घाब माँ माता पार्बती बह गंडो बांचू ईश्वर यती जब लग डाँडो कर पट रहे तब लग गर्भ काया में रहे फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा ।”

कुमारी कन्या का कटा हुआ सूत गर्भबती स्त्री की एडी से चोटी तक नापकर सात सूत को उपरोक्त जिव्हां बंधन मंत्र (Jihwa Bandhan Mantra) सात बार पढ़कर सात बालकों से गाँठ लगबा गंडा बनाये स्त्री की कमर में बांधे तो गर्भपात नहीं होता है ।

@ हिबंतरे कुल की दशी नाम राक्षसी एतेषा स्मरण मात्रेण गर्भो भबती अक्षय: ।
यह जिव्हां बंधन मंत्र (Jihwa Bandhan Mantra) सात बार पढ़कर डोरा बांधे तो गर्भपात नही होता है ।

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