कामाक्षी यन्त्र क्या है ?

इस कामाक्षी यंत्र (Kaamakshi Yantra) को दीवाली या अमावश्या की रात्री अथवा रवि पुष्य योग ,गुरु पुष्य योग या अक्षय तृतीया में निर्मित करें । इस कामाक्षी यन्त्र को चमेली की कलम से भोजपत्र पर गोरोचन ,कुंकुम और कपूर की स्याही बनाकर लिखें । इसके बाद इस कामाक्षी यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करें । प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ यंत्र को प्रतिमा मानते हुए पुष्प ,गंध और नैवेद्यादी से पूजा करें ।
रात्री के समय स्नान आदि कर श्वेत धोती पहनकर एकांत में पूर्वाभिमुख होकर बैठें और  यन्त्र को सामने रखें । पूजन कर घी का दीपक और अगर बत्ती /धुप जलाकर साध्य स्त्री के ध्यान में लीन हो जाएँ । इस समय में मन ही मन कामाक्षी प्रीयताम का उच्चारण करते रहें । प्रातः ब्राह्मण स्त्रियों को भोजन कराकर ,दान दक्षिणा देकर विदा करें और कामाक्षी यन्त्र को त्रिलौह के कवच में भरकर गले या बाजू में धारण करें ।
किसी अन्य के लिए यह  निर्मित किया जा रहा है तो यन्त्र बनाने वाला भगवती कामाक्षी का ध्यान करे और उपरोक्त प्रक्रिया कर धारक को प्रदान करे । इसके बाद धारक यन्त्र धारण कर रात्री में कामाक्षी प्रीयताम जपते हुए अपनी साध्य स्त्री का ध्यान करे कम से कम दो घंटे । यह प्रक्रिया वह कम से कम ११ दिन करे । यह भी ध्यान रहे की बार बार स्त्री का ध्यान न बदले और न ही ध्यान समय मन इधर उधर भटके ।
Kaamakshi Yantra Prayog :

जिस साध्य स्त्री का रात्री काल में स्मरण किया जाता है वह साधक के प्रति आकर्षित होती है और उसमे काम भावना उत्पन्न होती है और वह प्रयास पर जुड़ जाती है मनोवांछित स्त्री की प्राप्ति का यह बड़ा प्रभावी यन्त्र है ।

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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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