प्राक्रुत जैन ग्रन्थे कर्णपिशाचि साधना

Prakrut Jain Granthe Karnapishachi Sadhana :

बैसे तो कर्णपिशाचि साधना (karnapishachi sadhana) के स्वतंत्र मंत्र हैं, परन्तु कर्णपिशाचि का आह्वान कहीं-कहीं इष्ट मंत्र ब ईष्ट देब की आन देकर, अर्थात् इष्ट मंत्र के साथ भी किया जाता है । इससे कर्णपिशाचि जल्दी आती है और किसी का नुकसान भी नहीं करती है ।
 
1) मंत्र : “ओम कर्णपिशाची अमोघसत्य बादिनी मम कर्णे अबतर अबतर अतीतानागतं बर्तमानं दर्श्य दर्श्य एहि ह्रीं कर्णपिशाचिनी स्वाहा ।”
 
2) मंत्र  : “ओम ह्रीं कर्णपिशाचिनी अमोघसत्य बादिनी मम कर्णे अबतर अबतर सत्यं सत्यं कथय कथय अतीत आनागतं बर्तमानं दर्शय दर्शय एहो एहो ओम ह्रीं कर्णपिशाचिनी स्वाहा ।”
 
इस कर्णपिशाचि साधना (karnapishachi sadhana) मंत्र को लाल चन्दन की पुतली बनाकर उसके आगे एक पट्टे पर लिखकर सुगन्धित पुष्पों से अर्चन कर दस हजार जप करें । स्वप्न में शुभाशुभ कहें ।
 
3) मंत्र : “ओम कर्णपिशाचिनी देबि अमोघ बागीश्बरि सत्यबादिनि सत्यं ब्रूहि ब्रूहि यत्बं चिंतेसि सप्त समुद्राभ्यंतरे बर्तते तत्सर्ब मम कर्णे निबेदय निबेदय ओम बौषट स्वाहा ।”
मंत्र का 10000 जप करें । जप के बीच में दशांश होम घृत से और मधु से करें । शुभाशुभ कहें ।
 
4) मंत्र : “ओम रक्तोपलधारिणि मझहाजर रिपुबिध्वंशिनि सदा सप्त समुद्राभ्यंतरे पझाबती त्तसर्ब मम कर्णे कथय शीघ्रं शब्दं कुरु कुरु ओम ह्रीं हाँ हुं कर्णपिशाचिनी के स्वाहा ।”
 
5) मंत्र : “ओम ह्रीं नमो जिणाणं लोगुत्तमाणं लोगनहाणं लोगहियाणं लोगपाइबाणं लोग पज्जो अगराणं मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय कणपिशाचिनी स्वाहा ।”
( इस मंत्र का 10000 जप कर होम करें)
 
6) मंत्र : “ओम ह्रीं अह नमो जिणाणं लोगुत्तमाणं लोग पइबाणं लोग पज्जोयगरणं मम शुभाशुभं दर्शय दर्शय कर्णपिशाचिनी स्वाहा ।”
इस मंत्र का 108 बार जप करें तथा मौन होकर सोयें । स्वप्न में शुभाशुभ कहें ।

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641 {Call / Whatsapp

जय माँ कामाख्या

India's leading astrological service center with a proven track record of success. Our expert astrologers provide accurate predictions, effective remedies, and personalized guidance for a brighter future."

Sharing Is Caring:

Leave a Comment