Methi Dwara Bhoot Nibaran :
मंत्र : “भूत सबका भाई काहे आनंद अपार ।
जिसको गुमान से ‘अमुक’ को मार ।।
हमरे साई को पऊँ को पऊँ करो सलाम हजार ।
जाते होय भूत आबेश किनारा ।।
जितनी मेथी छोड़ बड़े और आनि के अंत ।
तस के धूम्र गंध ते पल में भूत भगंत ।।
‘अमुक’ अंग भूत नहीं यह मेथी के लाय।
अठी के आगे रत क्षण में जाय पराय ।।
आदेश देबी कामरू कामख्या माई ।
आशा हाड़ी दासि चंडी को दोहाई ।।”
मेथी लेकर रोगी के देह से सात बार पढ़ते हुए स्पर्श कर अग्नि में डाल देबें ।
Methi Dwara Bhoot Nibaran Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो मसाण बरसिने प्रेतनां कुरु कुरु स्वाहा ।”
सबसे पहले इसका १००१ बार जप करना चाहिए ।इसके बाद भूतग्रस्त रोगी को ११ बार झाडे ।
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