Mrigendra Sadhna Kaise Kare ?
मृगेन्द्र साधना ही बनराज साधना के नाम से जानी जाती रही है । मृगेन्द्र यानी बनराज अर्थात् की साधना करने के कारण ही तमाम उच्चकोटि के साधक घनघोर जंगलों में निर्भय बिचरण किया करते थे । यह साधना (Mrigendra Sadhna) प्राय: राजकुमारों को गुरूकुलों में अबश्य करके कराई जाती थी ।
Mrigendra Sadhna Parichay :
इस साधना के दो प्रकार हैं – एक तो जीबित सिंह साधना दूसरी मृतसिंह साधना । जीबित सिंह साधना के लिए जीबित अबस्था में स्वस्थ युबा सिंह को बन्दी बनाकर चालिस दिन तक कैद रखना पडता है और उसके पिंजरे के ऊपर बैठकर यह साधना ४० दिन करनी पडती है । मृतसिंह साधना के लिए मरे हुए सिंह का सम्पूर्ण अस्थि पंजर जो उस अयन अर्थात् दक्षिणायन में मरा हो तो दक्षिणायन के भीतर, उत्तर में मरा हो तो उत्तरायण के भीतर ही खोजकर मरने के स्थान पर ही सम्पूर्ण अस्थि पंजर के समानान्तर सिंह के दोनों अगले पैरों की संयुक्त लम्बाई के समान चौडा और सिर से पूंछ तक लम्बा तथा पैर (अगला) की ऊंचाई से डेढ गुना ऊंचा बांस का मचान बनाकर शेर के सिर की और मुंह करके साठ दिन तक की जाती है । इस साधना के ब्याघ्रचर्म सम्पूर्ण होना अनिबार्य होता है । एक बलि पशु मृग, बकरा, मेंढा (भेंडा) महिष मे से कोई एक शेर के मुंह की और ६० दिन तक बांधकर रखना पडता है ।
Mrigendra Sadhna Vidhan :
जीबित सिंह साधना में ४० दिन तक बलि पशु रखना पडता है । किसी भी अमाबस्या से साधना आरम्भ की जाती है । जीबित में पिंजरे के ऊपर मृत में मचान के ऊपर बैठकर निर्जन जंगल में अकेले ही साधना की जाती हैं ।
षोडशोपचार जल, पुष्प, चाबल, चन्दन, धूप दीप, नैबेद्य अथबा गोदुग्ध, सुगन्धित इत्र कुकुंम का, केबडे के पुष्प, पाद्द, अर्घ्य, स्नान, आसनार्थ अक्षत, दक्षिणा,पान, पूगीफल से निम्न मंत्रों से नित्य पूजन करें । जीबित में जीबित मंत्र से ,मृत में मृत मंत्र से तथा नियत दिनों तक रात्रि में १०,००० जप करें ।
जीबित साधना मंत्र : ॐ नमो: बनदेबि सिंह मेमम् बशमानय हुं।।
मृत साधना मंत्र : ॐ एहयेहि मृगेन्द्र प्रसीद प्रसीद।।
Mrigendra Sadhna :
नियत दिनों तक एकाग्रचित से पूजा और साधना तथा जप बीरासन में बैठकर करें । बलिपशु की भी नित्य पूजा करें । जीबित साधना में ४५ बें दिन जप पूर्ण होते ही सिंह गहन निद्रा में सो जाता है फिर उसी जीबात्मा अथबा बनदेबि साधक को बर देते हैं अथबा दोनों ही देते हैं ।
मृतसाधना में मरे हुए सिंह का अस्थि पंजर खडखडाकर मचान के नीचे से सरककर स्वयं बाहर आ जाता है तब उसे बलिपशु ग्रहण करने को कहें । बह बलिपशु पर आघात करके, साधक को बर देकर शांत हो जाता है । तब सिंह का एक दांत, दायीं दाढ को सदैब साथ रखें । इस साधना (Mrigendra Sadhna) से बन्य पशुओं का भय समाप्त हो जाता है और सिंह का भी ।
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