अष्ट नागिनी मंत्र क्या है?

Asht Nagini Mantra :

अब आठ प्रकार की नागिनियों को सिद्ध करने के मंत्र तथा उनकी साधन बिधियों का बर्णन किया जाता है ।

किसी भी नागिनी का साधना करते समय उसका माता, बहन अथबा पत्नी के रूप में चिंतन करना चाहिए । साधक जिस रूप में नागिनी का चिंतन करेगा, बह उसी रूप में साधक की मनोकामनाओं को पूर्ण करेगी ।

अनन्त मुखी नागिनी मंत्र :
“ॐ पू: अनन्तमुखी स्वाहा ।”

इस मंत्र से अनंतमुखी नागिनी की उपासना करनी चाहिए । नाग भबन में जाकर, नाभि के बराबर जल में उतर कर नागिनी मंत्र (nagini mantra) का आठ सहस्र की संख्या में जप करें । जप के अन्त में नाग कन्या साधक के निकट आती है । उस समय साधक को चाहिए की बह उस के मस्तक पर पुष्प डाले । इस भांति साधन करने से नागिनी साधक के रूप में उस के मनोरथ पूरा करती है तथा उसे प्रतिदिन आठ स्वर्ण मुद्रा एबं भोज्य पदार्थ भेंट करती है ।

शंखिनी नागिनी मंत्र :
“ॐ शंखिनी बायुमुखी हुं हुं ।”

इस मंत्र से शंखिनी नागिनी की उपासना करनी चाहिए । नागलोक में जाकर शंखिनी नागिनी मंत्र (nagini mantra) का एक लाख जप करने से नागिनी प्रसन्न होकर साधक की सब इच्छाओं को पूरा करती है ।

बासुकी मुखी नागिनी मंत्र :
“ॐ बासुकीमुखी स्वाहा ।”

इस मंत्र से बासुकीमुखी नागिनी की उपासना करना चाहिए । रात्रि के समय नाग- स्थान में जाकर आठ सहस्र की संख्या में नागिनी मंत्र (nagini mantra) का जप करें । जप के अन्त में नाग- कन्या साधक के समीप आती है और उसकी पत्नी होकर, उसके सब मनोरथों को पूरा करती है तथा साधक को प्रतिदिन दिव्य बस्त्र, भोज्य पदार्थ एबं स्वर्ण मुद्रा प्रदान करती है ।

तक्षकमुखी नागिनी मंत्र :
“ॐ कालजिह्वा यू: स्वाहा ।”

इस मंत्र से तक्षकमुखी नागिनी की उपासना करनी चाहिए । रात्रि के समय नाग स्थान में बैठकर आठ सहस्र की संख्या में नागिनी मंत्र (nagini mantra) का जप करने से नागिनी शिरोरोग से ग्रस्त होकर साधक के समीप आती है तथा उसे सम्बोधित करती हुई कहती है – हे बत्स ! मैं तुम्हारा क्या कार्य साधन करुँ ? उस समय साधक यह उत्तर दें – “तुम मेरी माता हो जाओं !” यह सुन कर बह नागिनी प्रसन्न होकर साधक को बस्त्र आभुष्ण, मनोहर भोज्य पदार्थ तथा स्वर्ण मुद्रा प्रदान करती है । साधक को चाहिए की बह उन सब मुद्राओं को ब्यय कर दे, क्योंकि उन सबको ब्यय न करने से नागिनी क्रोध करती है तथा फिर मुद्रा नहीं देती ।

कर्कोटमुखी नागिनी मंत्र :
“ॐ पू: कर्कोटमुखी स्वाहा ।”

इस मंत्र से कर्कोटमुखी नागिनी की उपासना करनी चाहिए । शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागलोक में जाकर बलिदान करके गंध पुष्पादि के उपचार द्वारा पूजन और मंत्र का जप करने से सहस्र नाग कन्यायें साधक के पास आती हैं । उस समय साधक को दूध का अर्घ्य देकर नसे कुशल – क्षेम पूछनी चाहिए । तदुपरांत बे नाग कन्यायें साधक की पत्नी रूप में उनका मनोरथ पूर्ण करती है और उसे आठ स्वर्ण मुद्रा प्राप्त करती है ।

कुलीर मुखी नागिनी मंत्र :
“ॐ हुं हुं पूर्बभूप मुखी स्वाहा ।”

इस मंत्र से कुलीर मुखी नागिनी की उपासना करनी चाहिए । रात्रि के समय सरोबर पर जाकर नागिनी मंत्र (nagini mantra) का आठ सहस्र जप करें तब सुन्दरी नाग कन्या साधक के समीप आती है तथा उसकी भगिनीस्वरूपा बन कर प्रतिदिन स्वर्ण – मुद्रा तथा बस्त्र देती है । बह साधक पर प्रसन्न होकर रात्रि के समय किसी अन्य नागकन्या को लाकर साधक के अन्य मनोरथ को पूरा कर देती है ।

पद्मिनी मुखी नागिनी मंत्र :
“ॐ पू: पद्मिनी मुखी स्वाहा ।”
इस मंत्र से पद्मिनी मुखी नागिनी की उपासना करना चाहिए । किसी नदी के संगम –स्थल पर जाकर दूध भोजन सहित नागिनी मंत्र (nagini mantra) से प्रतिदिन एक सहस्र की संख्या में जप करें तो नाग कन्या प्रतिदिन साधक के पास आती है । उसी समय साधक को चन्दन के जल से अर्घ्य देना चाहिए तदुपरांत यह नाग कन्या साधक की पत्नी बन कर उसे पाँच स्वर्ण मुद्रा तथा अनेक प्रकार के भोज्य पदार्थ भेंट करती है ।

महापद्ममुखी नागिनी मंत्र :
“ॐ महापद्मिनी पू: स्वाहा ।”

इस मंत्र से महापद्ममुखी नागिनी की उपासना करनी चाहिये । रात्रिकाल में किसी सरोबर तट पर बैठकर नागिनी मंत्र (nagini mantra) का आठ सहस्र जप करे तो नाग कन्या आकर साधक की पत्नी के रूप में उसे अभिलाषित बस्तुयें प्रदान करती है । साधक को चाहिए कि बह उन सब बस्तुओं का ब्यय कर दें । यदि उन में से कुच्छ भी बचा रहेगा तो नागिनी क्रोधित होती है तथा साधक को फिर कुच्छ नही देगी ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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