तंत्र में सर्प का प्रयोग

Rate this post

Tantra Mein Sarp Ka Prayog :

सर्प इस संसार में सबसे रहस्यमय जन्तु माना गया है । बिज्ञान और सभ्यता का इतना बिकास हो जाने के बाद भी अभी तक यह निशिचत नहीं हो सका है कि सर्प की कितनी किस्में और प्रजातियाँ है तथा उसकी आयु क्या है ? साथ ही आज भी इस तंत्र में सर्प (tantra mein sarp) के बिषय में अनेक भ्रान्तियाँ फैली हैं । सपेरों की बीन पर आकर्षित होकर सर्प का नाचना या बीन बजाने पर निकल आना इस बात का सूचक है कि सर्प संगीत प्रेमी है और बीन की धुन पर मगन होता है, पर बैज्ञानिकों ने खोज की है कि सर्प के तो कान ही नहीं होते । बह अपने पेट के नीचे की त्वचा के जमीन पर स्पर्श के कारण आहटों से काम लेता है । उसकी भूमिका एक अन्धे के समान होती है । बीन का आकार –प्रकार तथा सपेरे का हाथ नचाना देखकर बह समझता है कि उसका ही कोई साथी ऐसा कर रहा है, अत: बह भी उसी प्रकार करने लगता है ।

सर्प का भारतीय धर्म और तंत्र में सर्प (tantra mein sarp) का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है । धार्मिक आस्था के अनुसार इस पृथ्वी का सम्पूर्ण भार शेषनाग अपने सिर पर उठा रखा है । भगबान बिष्णु की शैय्या ही शेषनाग है । शंकर के गले में सदा बिषधर पड़े रहते हैं और इसी कारण बर्ष में एक बार ‘नाग पंचमी’ का त्यौहार बड़ी धूमधाम और श्रद्धा से मनाया जाता है जिसमें नागों की पूजा की जाती है ।

भारतीय तंत्र में सर्प (tantra mein sarp) नाग को प्रमुख माना गया है । बिशेषत: तंत्र में सर्प (tantra mein sarp) की पूजा होती है । हमारे धर्म में कालिया, शेषनाग, कद्रू (साँपों की माता ) पिलीबा आदि बहुत प्रसिद्ध हैं ।

सर्प के सम्बन्ध में सैकड़ो कथाएं हैं । सर्प के मस्तक में ‘मणि’ होने की बात कही गई है और सर्प का एक रूप इच्छाधारी भी माना गया है की चाहे जब बह स्त्री –पुरुष का या अन्य रूप ले सकता है । तक्षक राजा परीक्षीत को दंश मारना चाहता था । मानब रूप धरकर महामंत्र बिशेषज्ञ तांत्रिक पंडित को उसने द्रब्य देकर बापस कर दिया था । यह ब्रुतांत पौराणिक ग्रंथो में है ।

सर्प कितना भी हिंसक, उपद्रबी या बिषयुक्त क्यों न हो, बह शिशु को या अबोध बालक को अपना शिकार नहीं बनाता । यह एक आश्चर्य की बात है । आज तक किसी शिशु पर सर्प ने दंश नहीं मारा हैं। साँप अगर किसी शिशु के सिर पर अपना फन फैला देता है तो ,तंत्र में सर्प (tantra mein sarp) का यह कार्य को बिस्तार से कहा गया है की ..बह राजा अबश्य ही बनता है । यह निश्चित है ।

सर्प की भागने की रफ़्तार घोड़ा भी नहीं पा सकता है। देखते – देखते बह लापता हो जाता है । साँप की केंचुल को मंत्र सिद्ध कर ‘गल्ले’ में या घर में रखना शुभ माना गया है । साँप की केंचुल से बबासीर, नजर आदि रोग भी दूर होते हैं । साँप की केंचुल तंत्र –मंत्र के भी काम आती है । बास्तब में भारतीय संस्कृति और तंत्र में सर्प (tantra mein sarp) का बड़ी महत्वपूर्ण स्थान है । अब में सर्प के कुछ प्रयोग लिख रहा हूँ ।

1. साँप की केंचुल कमर में बाँध देने से तीसरे दिन आने बाला ज्वर दूर होता है ।
2. स्त्री के नितम्बों पर साँप की केंचुल बाँध देने से प्रसब सुखपुर्बक होता है ।
3. बबासीर के मस्सों पर साँप की केंचुल बाँध देने से बबासीर के रोग में आराम मिलता है ।
4. साँप की दांत ताबीज में डालकर पहिनाने से सुखपुर्बक प्रसब होता है ।
5. साँप की केंचुल को कपडे में भरकर पेडू के ऊपर बाँधने से संग्रहणी रोग में लाभ होता है ।
6. ‘ॐ मुनिराज आस्तिक’ के जाप से साँप पास नहीं आता है ।
7. साँप की दाढ़, नेबले के बाल, श्मशान की राख मिलाकर धरती में गाढ दें जो भी उस पर निकलेगा, उसका बिद्वेष्ण हो जायेगा ।
8. साँप की केंचुल और नेबले के बाल मिलाकर जहाँ भी जलाओगे बहाँ कलह शुरू हो जायेगा ।
9. तंत्र में सर्प (tantra mein sarp) की हड्डी का चूर्ण जिस पर डाल दोगे बह बीमार हो जायेगा ।

Our Facebook Page Link

यदि आप को सिद्ध तांत्रिक सामग्री प्राप्त करने में कोई कठिनाई आ रही हो या आपकी कोई भी जटिल समस्या हो उसका समाधान चाहते हैं, तो प्रत्येक दिन 11 बजे से सायं 7 बजे तक फोन नं . 9438741641 (Call/ Whatsapp) पर सम्पर्क कर सकते हैं ।

Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment