Gupt Bidya Prapti Hetu Sadhanaye :
केबल बृहस्पतिबार के दिन मरे हुए उल्लू की आँखे निकल कर कहीं सुरक्षित रख लें तथा उसके शेष भाग को आधी रात के समय किसी चौराहे पर गाढ़ दें । इसके बाद जब भी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गुरुबार पड़े, उस दिन उल्लू की आँख को शुद्ध सुरमे में घिसकर अंजन तैयार करें ।
अंजन तैयार हो जाने पर, दुसरे दिन प्रात: स्नानदि से निबृत हो, कुशा के आसन पर पूबाभिमुख बैठें तथा अंजन के पात्र को अपने सामने रखकर निम्नलिखित मंत्र का सबा लाख बार जप करें ।
Gupt Bidya Mantra :
“ॐ नमो उलूकराजाय, लक्ष्मी बाहनाय कं खं गं घं डं चं छं जं जं में गुप्त बिद्या प्रदातु ह्रीं फट स्वाहा ।”
उपरोक्त मंत्र का प्रत्येक बार उचारण करने के बाद अंजन पात्र के ऊपर एक एक फूंक मारते चले आएँ फिर अगली पूर्णिमा की प्रात: उक्त अंजन को अपनी आँखों में आंजकर गुप्त बिद्या (gupt bidya) का अध्यन आरम्भ करें । इस प्रयोग से गुप्त बिद्या का ज्ञान प्राप्त हो जाता है । साधना किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करें ।
चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है । परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा । उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे । अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे। यंहा सिर्फ जानकारी के लिए दिया गया है ।
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