प्रचण्ड चंडिका साधना कैसे करें ?

Prachand Chandika Sadhana Kaise karein ?

“प्रचण्ड चंडिका साधना (Prachand Chandika Sadhana)” श्री भगबती आद्याशक्ति पार्बती का ही एक रूप है । इन्हें “छिन्मस्ता” भी कहा जाता है । दश महा बिद्याओं के अंतर्गत प्रचण्ड चंडिका साधना (Prachand Chandika Sadhana) की भी गणना की जाती है ।

“बिश्वस्सर” एबं “रुद्रयामल तंत्र” में प्रचण्ड चंडिका साधना के अनेक मन्त्रों का उल्लेख पाया जाता है उनमे कुच्छ निम्नांनुसार हैं –

(१) “श्रीं क्लीं ह्रीं ऐ बज्रबैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा ।।”
यह षोडशाक्षर मंत्र सब कार्यो में मंगलदायक है ।

(२) “क्लीं श्रीं ह्रीं ऐ बज्रबैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा ।।”
यह मंत्र स्त्रियों को बश में करने बाला है ।

(३) “ह्रीं श्रीं क्लीं ऐ बज्रबैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा ।।”
यह मंत्र समस्त पापों को नष्ट करने बाला है ।

(४) “ऐ श्रीं क्लीं ह्रीं बज्रबैरोचनीये हुं हुं फट् स्वाहा ।।”
यह मंत्र मुक्ति को देने बाला है ।

Prachand Chandika Sadhana Puja Vidhi :

सर्बप्रथम प्रात: कृत्यादि करके सामान्य पूजा पद्धति के अनुसार आचमन करें । “श्रीं ह्रीं हुं” इन तीनों मन्त्रों से 3 बार जलपान करके “ऐ” मंत्र से दोनों होठों का मार्जन कर, “ह्रीं ह्रीं” इस मंत्र से तीन बार फिर मार्जन करना चाहिए ।

आचमन के उपरान्त प्राणायाम तक सब क्रियाएँ करके षोढान्यास करना चाहिए । फिर रुष्यादिन्यास एबं करांगन्यास करके मूल मंत्र द्वारा मस्तक से चरणों तक तथा चरणों से मस्तक तक तीन बार ब्यापक न्यास करके ध्यान करना चाहिए ।

ध्यान के पश्चात् यंत्र निर्माण कर देबी का पूजन करना उचित है । मंत्र लेखनोपरांत पीठ पूजा, पुनबरि ध्यान तथा आबाहन करके, प्रतिष्ठा के मंत्र से प्राणप्रतिष्ठा करें । फिर बलि- प्रदान तथा षडंगपूजा के पश्चात् बिसर्जनान्त तक सब कर्मो को यथाबिधि समाप्त कर देबी का बिसर्जन करें ।

बिसर्जन का मंत्र इस प्रकार हैं –
“उत्तरे शिखरे देबि भुभ्यां पर्बत बासिनि ।
ब्रह्मयोनि समुत्पन्ने तिष्ठदेबि ममान्तरम् ।।”

इस मंत्र के पुरश्चरण के लिए एक लाख की संख्या में जप करना चाहिए तथा देबता के बलिदान में साधक को अपनी सामर्थ्य के अनुसार मधुरा, मत्स्य, सूरा आदि अनेक भांति के उपहारों द्वारा बली देनी चाहिए ।

छिनमस्ता अर्थात प्रचण्ड चंडिका के साधन से साधक की समस्त मनोकामानाएं पूर्ण होती है ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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