सिद्ध संकटमोचन मंत्र

Siddh Sankatmochan Mantra :

कलियुग की शुरुआत होते ही सारे देवता इस भू लोक को छोड़ कर चले गए थे सिर्फ भैरव और हनुमान ही ऐसे देवता है जिन्होंने कलयुग में भू लोक पर निवास किआ इसलिए हनुमान और भैरव महाराज दोनों की उपासना कलयुग में उत्तम फल प्रदान करती है ।
१. भयंकर, आपति आने पर हनुमान जी का ध्यान करके रूद्राक्ष माला पर १०८ बार संकटमोचन मंत्र (Sankatmochan Mantra) जप करने से कुछ ही दिनों में सब कुछ सामान्य हो जाता है ।
Siddh Sankatmochan Mantra :

कपि संकटमोचन मंत्र:-“त्वमस्मिन् कार्य निर्वाहे प्रमाणं हरि सतम । तस्य चिन्तयतो यत्नों दुःख क्षय करो भवेत्॥”

२. शत्रु ,रोग हो या दरिद्रता, बंधन हो या भय निम्न मंत्र (Sankatmochan Mantra) का जप बेजोड़ है, इनसे छुटकारा दिलाने में यह प्रयोग अनूभुत है । नित्य पाँच लौंग, सिनदुर, तुलसी पत्र के साथ अर्पण कर सामान्य मे एक माला, विशेष में पाँच या ग्यारह माला का जप करें । कार्य पूर्ण होने पर १०८ बार, गूगूल, तिल धूप, गुड़ का हवन कर लें । आपद काल में मानसिक जप से भी संकट का निवारण होता है ।

कपि संकटमोचन मंत्र :-“मर्कटेश महोत्साह सर्व शोक विनाशनं,शत्रु संहार माम रक्ष श्रियम दापय में प्रभो॥”

३. अनेकानेक रोग से भी लोग परेशान रहते है, इस कारण श्री हनुमान जी का तीव्र रोग हर मंत्र का जप करनें, जल, दवा अभिमंत्रित कर पीने से असाध्य रोग भी दूर होता है। तांबा के पात्र में जल भरकर सामने रख श्री हनुमान जी का ध्यान कर मंत्र जप कर जलपान करने से शीघ्र रोग दूर होता है। श्री हनुमान जी का सप्तमुखी ध्यान कर मंत्र जप करें ।
कपि संकटमोचन मंत्र:-“ॐ नमो भगवते सप्त वदनाय षष्ट गोमुखाय,सूर्य रुपाय सर्व रोग हराय मुक्तिदात्रे ”
जब भी ऐसी कोई समस्या हो आप किसी भी पात्र में जल ले ले और निम्न मंत्र (Sankatmochan Mantra) से उसे अभिमंत्रित कर ले मतलब इसके दो तरीके हैं एक तो मंत्र जप करते समय अपने सीधे हाथ की एक अंगुली इस जल से स्पर्श कराये रखे या जितना आप को मंत्र जप करना हैं उतना कर ले और फिर पूरे श्रद्धा विस्वास से इस जल में एक फूंक मार दे ..
यह मन में भावना रखते हुए की इस मंत्र की परम शक्ति अब जल में निहित हैं .. और यह सब मानने की बात नहीं हैं अनेको वैज्ञानिक परीक्षणों से यह सिद्ध भी हुआ हैं की निश्चय ही कुछ तो परिवर्तन उच्च उर्जा का जल में समावेश होता ही हैं
कपि संकटमोचन मंत्र : “ॐ नमो हनुमते पवन पुत्राय ,वैश्वानर मुखाय पाप दृष्टी ,घोर दृष्टी , हनुमदाज्ञा स्फुरेत स्वाहा ||”
कम से कम १०८ बार कपि संकटमोचन मंत्र (Sankatmochan Mantra) (जप तो करे ही और इस अभिमंत्रित जल को जो भी पीड़ित हैं उ स पर छिडके .. उसे भगवान् हुनमान की कृपा से निश्चय ही लाभ होना शुरू हो जायेगा और जो भी इसे रोज करना चाहे उनके जीवन कि अनेको कठिनाई तो स्वत ही दूर होती जाएगी .. तो आवश्यक सावधानी जो की हनुमान साधना में होती हैं वह करते हुए कर सकते हैं .. ।

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