दुर्गा सप्तशती उत्कीलन विधि क्या है?

Durga Saptashati Utkeelan Vidhi Kya Hai ?

श्री दुर्गा सप्तशती के मंत्र पूर्ण प्रभाबशाली तथा ऊर्जित तब ही होते हैं, जब पाठ से पूर्ब उन्हें निष्किलित कर दिया गया हो ।

सामान्य रूप से सप्तशती के निष्किलन हेतु कीलक के पाठ का महत्व बतलाते हुए यह कहा जाता है, तथा ब्यबहार में भी देखा जाता है कि कीलक के पाठ से सप्तशती का निष्किलन हो जाता है एबं पाठ का पूर्ण लाभ होता है ।

कीलक पाठ के पश्चात् ही नवार्ण बिधि (मंत्र जप) तत्पश्चात सप्तशती पाठ प्राय: यही सब जगह बिधान मिलता है ।

सम्पूर्ण कीलक पाठ के पश्चात् यही ज्ञात होता है कि इस कीलक स्तोत्र में कीलक की महिमा का बर्णन किया गया है । कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अथबा अष्टमी को (नवरात्र पाठ बिधि में) अपना सर्बस्व भगबती को समर्पण तथा उनकी आज्ञानुसार प्रतिग्रहण रूप जिस निष्किलन बिधि का इसमें बर्णन किया गया है, बैसा न तो कोई करता है और न ही आज के युग में किसी सामान्य ब्यक्ति द्वारा पूर्णतया सम्भब है । फिर इसके निष्किलन (Saptashati Utkeelan Vidhi) का उपाय क्या है ।

प्रश्न सर्बथा उचित एबं गम्भीर है । आज तक सप्तशती की किसी भी प्रति (पुस्तक) में निष्किलन का मंत्रोलेख नहीं मिला है । सद्गुरु के चरण राज की कृपा एबं भगबती के आशीर्बाद से प्रथम बार उस गोपनीय मंत्र को यँहा उद्घाटित किया जा रहा है, जिसका एक सौ आठ बार जप करने से ही सप्तशती का उत्कीलन होता है ।

Saptashati Utkeelan Vidhi Mantra :

मंत्र स्वरुप – (ॐ ऐ ह्रीं क्लीं श्रीं नम: शिबाय ।)

Connect with us on our Facebook Page

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
हर समस्या का स्थायी और 100% समाधान के लिए संपर्क करे (मो.) 9438741641 {Call / Whatsapp}

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment