हाथों को देखते समय यह मंत्र बोलना चाहिए –
“कराग्रे वसति लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्॥”
इस मंत्र में बताया गया है कि हमारे हाथों के अग्रभाग (आगे) की ओर महालक्ष्मी का वास होता है । हाथ के मध्यभाग में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में भगवान विष्णु का वास होता है। अत: प्रात:काल दोनो हाथों के दर्शन करना चाहिये ।
यह सुबह जागने का मंत्र (subah jaagne ka mantra ) विशेष रूप से मातृशक्ति का स्मरण है । शक्ति का ही स्वरूप देवी लक्ष्मी की उपासना सुख, धन और ऐश्वर्य देने वाली मानी गई है, जो हर इंसान की चाहत होती है । इस सुबह जागने का मंत्र (subah jaagne ka mantra) में भी उनका ही स्मरण है । इसलिए सुबह जागने पर जमीन पर पैर रखते ही इस सुबह जागने का मंत्र का ध्यान रख कदम आगे बढ़ाएं –
Subah Jaagne Ka Mantra Bolkar Jamin Par Rakhe Pair :
“समुद्र वसने देवी पर्वतस्तन मण्डले।
विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे।।”
इस मंत्र व्यक्ति को महालक्ष्मी, सरस्वती और भगवान श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है । व्यक्ति कभी भी पैसों की तंगी का सामना नहीं करता है ।
शास्त्रों एवं पुराणों में मानव शरीर में अनेक दिव्य शक्तियों के केंद्र बताए गए हैं। प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों एवं ज्योतिर्विज्ञानियों ने पृथ्वी में रहते हुए ब्रह्मांड के अनंत रहस्यों को खोज निकाला जो ग्रंथों के रूप में आधुनिक काल में भी विद्वानों के अध्ययन का सशक्त माध्यम बने हुए हैं । गणितज्ञ भास्कराचार्य, वराहमिहिर एवं आर्यभट्ट जैसे नामों की चर्चा आज भी लोगों की जुबान पर रहती है । कहा जाता है कि हमारे सिर जिसे ब्रह्मांड भी कहा जाता है उसमें स्थित मेघा शक्ति के जागरण से नक्षत्रलोक आकाश गंगाएँ एवं ब्रह्मांड के रहस्य सुलझने लगते हैं ।
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जय माँ कामाख्या