SwarnDeha Karn Pisachini Sadhana
यह SwarnDeha Karn Pisachini साधना 21 दिनों की होती है किंतु पूर्ण सिद्धि 41 दिन में प्राप्त होती है । इस साधना का समय सूर्योदय के समय 11 माला और सूर्यास्त के समय 11 माला है । सिद्धि होने पर देवी साधक को कानो में आवाज भी देती है और भूत भविष्य वर्तमान का सही सही पता बता देती है ।
SwarnDeha Karn Pisachini Sadhana Samagri :
1. लाल वस्त्र या काले वस्त्र
2. आसन लाल या काला
3. रुद्राक्ष माला तांत्रिक क्रिया से शुद्ध की गई।
4. लाल चंदन का तिलक
5. ग्वार पाठे अर्थात घी कवार अर्थात घृत कुमारी का टुकड़ा
6. तेल का अखण्ड दिया बन्द कमरे में जले
7. फल, फूल चमेली या मोगरा या लाल गुलाब
8. चमेली इत्र, अगरबत्तियां कमरे में छिड़कने के लिये ।
जब साधक साधना शुरू करता है तो साधक को मन्त्र जाप के समय अनेक तरह की अनुभूतियां होती है । जैसे कोई आवाज देती है या सफेद रंग का प्रकाश पूरे कमरे में हो जाता है । साधक को अनेक स्त्रियों के सपने भी आते है । जब साधक विधि विधान से सिद्धि करता है तो भोग को साधक छत पर रख दे ,उसे जल चढ़ाए । शाम को जब भोजन करे तो भोजन से एक रोटी और कुछ सब्जी जल के साथ छत पर रख दे ।
जब देवी को नित्य अपना भोग मिलता है तो देवी साधक को सिध्द होती है और बात होती है वचन होते है । देवी साधक के कानों में बाते कहती है और दृश्य भी दिखाती है ।
पिशाचिनी का भोग विशेष तरह के द्रव्यों को मिलाकर तैयार किया जाता है , इसमे कुछ पदार्थ, अन्न आदि मिलाय जाते है जिससे आकर्षित होकर पिशाचिनी साधक को सिद्ध हो जाती है ।
अगर देवी साधना के समय उग्र है तो घी क्वार अपने एक हाथ मे रखे दूसरे से मन्त्र जाप करे । इससे देवी शांत होती है । मन्त्र जाप के समय आसन के नीचे रखे। नारियल की स्थापना करे । जब यह देवी साधक के साथ शयन करके जाती है तो उसको कुछ स्वर्ण भी कभी कभी प्राप्त होता है ।
ध्यान दे :
इसमे दिशा उत्तर हो ।
सिद्ध करते समय साधक का कमरा अपना हो,कोई दूसरा न आये ।
SwarnDeha Karn Pisachini Mantra –
“ॐ ह्रीम चह चह कम्बलके गृहण पिंडम पिशाचिके स्वाहा।”
{{ यह स्वर्णदेहा कर्ण पिशाचिनी (SwarnDeha Karn Pisachini) सिद्धि स्वार्थी साधको को सिद्ध नही होती । ये केवल सामान्य जानकारी है । भूल से भी ये क्रिया बिना गुरु आज्ञा और बिना गुरु के साथ हुए न करे । बरना अपने नुकसान के आप स्वयं जिम्मेदार होंगे ।}}
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जय माँ कामाख्या