Uchchatan Mantra Sangrah :
उच्चाटन मंत्र (1):
मंत्र : “ॐ धूँ धूति ठ: ठ: स्वाहा ।”
Uchchatan Mantra Vidhi :
इस मंत्र को 10 हजार बार जप कर सिद्ध कर लेना चाहिए तत्पश्चात अथबा बृक्ष की लकड़ियों को उक्त मंत्र से अभिमंत्रित करके 108 की संख्या में होम करें तो जिस के उद्देश्य से होम किया जाय, उच्चाटन (Uchchatan) होता हैं ।
उचाटन मंत्र (2) :
मंत्र : “ॐ लोहितामुख स्वाहा ।”
यह मंत्र दस हजार की संख्या में जपने से सिद्ध होता हैं । मंत्र के सिद्ध हो जाने पर उभरी बृक्ष की चार अंगुल प्रमाण कील को 7 बार अभिमंत्रित करके जिस की भूमि में गाढ़ दिया जाय उसका उच्चाटन (Uchchatan) हो जाता हैं ।
उचाटन मंत्र (3) :
“ॐ निरि निहि उठ: । ॐ नमो भगबते रुद्राय अमुक गृहन पच पच त्रासय त्रोटय नाशाय सुरतिराग्या पयति ठ: ठ: ।”
बिधि : यह मंत्र दस हजार बार जपने से सिद्ध होता है । मंत्र समाप्त हो जाने पर मृत मनुष्य की एक अंगुल प्रमाण हड्डी को कौए के पित्ते में भिगो कर, उक्त मंत्र से 7 बार अभिमंत्रित करके जिसके दरबाजे पर गाढ़ दिया जाय उसका उच्चाटन हो जाता है ।
उचाटन मंत्र (4) :
मंत्र : “गिली स्वाहा ।”
बिधि – यह मंत्र दस हजार की संख्या में जपने से सिद्ध होता है । मंत्र सिद्ध हो जाने पर भरणी नक्षत्र में उरुबापंख को छिप के आधे भाग को फाड़कर 7 बार अभिमंत्रित करके, जिस के घर में गाढ़ दिया जाए उसका उच्चाटन हो जाता है ।
उचाटन मंत्र (5) :
मंत्र : “ॐ दह दह बन स्वाहा ।”
बिधि – इस मंत्र को पहले दस हजार की संख्या में जप कर सिद्ध कर लेना चाहिए तत्पश्चात अश्विनी नक्षत्र में घोड़े की चार अंगुल प्रमाण हड्डी को उक्त मंत्र से 7 बार अभिमंत्रित करके जिस के घर में गाढ़ दिया जाये, उसका उच्चाटन होता है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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