उर्वर्शी शाबर मंत्र साधना विधि

उर्वर्शी अप्सरा सबसे ज्यादा खूबसूरत है, हम आपको उसी अप्सरा की साधना बताने जा रहे है । प्राचीनकाल के तांत्रिक ग्रंथो और शास्त्रों में कुछ विधियां बताई गई है जिसके माध्यम से हम उर्वर्शी अप्सरा को प्रकट तो कर ही सकते साथ में हम उसे प्रेमिका ,पत्नी,आदि रूपों में प्राप्त कर धन यौवन , सुख-सौभाग्य प्राप्त कर सकते है । अप्सरा के माध्यम से हम जीवन के कही प्रकार के अनुभव कर सकते है । अगर कोई प्रेम करना चाहता है प्रेम को समझना चाहता है तो वह एक मात्र रास्ता है जो सच्चे प्रेम से अवगत करा सकता है । अप्सरा प्रेम की सवरूपा है उसके सामने प्रेम और अपार सुख है ।
जीवन में हर इंसान को एक बार उर्वर्शी शाबर मंत्र साधना (Urvashi Shabar Mantra Sadhana) अवश्य करना चाहिये । उर्वशी अप्सरा अत्यंत ही ख़ूबसूरत और धन यौवन से परिपूर्ण होती है । उसके सामने संसार की सारी सुंदरता फीकी नजर आती है । उर्वशी अप्सरा साधना की विधियां ग्रंथो में दी हुई है यह साधना विधि साबर मन्त्र की है और वास्तव में यह शीघ्र फलदायी है । और मात्र २ दिन की साधना है ।
किसी भी शुक्रवार को यह उर्वर्शी शाबर मंत्र साधना (Urvashi Shabar Mantra Sadhana) प्रारंभ कर सकते है और शनिवार की रात्रि को समाप्त कर सकते है । इस उर्वर्शी शाबर मंत्र साधना को स्त्री या पुरुष दोनों ही संपन्न कर सकते है । साधना काल में कोई भी सुन्दर वस्त्र धारण करना है ।

Urvashi Shabar Mantra Vidhi :

• उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बेठ जाए ।
• एक थाली में “उर्वर्श्ये नमः” लिखे और उसके आगे गुलाब या अन्य पुष्प बिछाए ।
• पंचोपचार पूजन संपन्न करे । संकल्प लेना आवश्यक होता है ।
• यन्त्र के सामने सुद्ध घी का दीपक लगाए । अब पान मुँह में रखकर चबा लें ।
• स्फटिक की माला से निम्न लिखित उर्वर्शी शाबर मंत्र 21 बार जप करें ।
“ॐ नमो आदेश गुरु को आदेश ,गुरु जी के मुह में ब्रम्हा उनके मध्य में विष्णु और नीचे भगवान महेश्वर स्थापित है, उनके सारे शारीर में सर्व देव निवास करते है, उनको नमस्कार ! इंद्र की अप्सरा ,गन्धर्व कन्या उर्वर्शी को नमस्कार ! गंगान मंडल में घुंघरुओं की झंकार और पाताल में संगीत की लहर !
लहर में उर्वशी के चरण, चरण में थिरकन, थिरकन में सर्प, सर्प में कामवासना , कामवासना में कामदेव, कामदेव में भगवान शिव, भगवान शिव ने जमीन पर उर्वशी को उतारा, शमशान में धुनी जमाई,उर्वशी ने नृत्य किया,सात दीप नवखंड में फूल खिले डाली झूमि,पूर्व-पश्चिम ,उत्तर -दक्षिण ,आकाश -पातळ में सब मस्त भये!
मस्ती में एक ताल ,दो ताल,तीन ताल, मन में हिलोर उठी, हिलोर में उमंग, उमंग में ओज , ओज में सुंदरता, सुंदरता में चंद्रमुखी, चन्द्रमुखी में शीतलता , शीतलता मे सुगंध और सुगंध में मस्ती, यह मस्ती उर्वशी की मेरे मन भाई !
यह मस्ती मेरे सारे शरीर में अंग अंग में लहराई, उर्वशी इंद्र की सभा छोड़ मेरे पास आवे,मेरी प्रिया बने, हरदम मेरे साथ रहे ,मेरो कहियो करें , जो कहुँ सो पुरो करे,सोंचू तो हजार रहे, यदि ऐसा न करे तो दस अवतार की दुहाई, ग्यारह रूद्र की सौगंध, बारह सूर्य को वज्र तेंतीस कोटि देवी-देवताओं की आण ! मेरो मन चढे, अप्सरा को मेरो जीवन उसके श्रृंगार को,मेरी आत्मा उसके रूप को, और में उसको, वह मेरे साथ रहे, धन, योवन ,संपत्ति , सुख दें, कहियो करे हुकुम मान, रूप यौवन भार से लदी मेरे सामने रहे,जो ऐसा न करे तो भगवान शिव को त्रिशूल और इंद्र को वज्र उस पर पड़े !”
इस उर्वर्शी शाबर मंत्र का २१ बार उच्चारण पर्याप्त माना गया है और साबर मंत्र होने के कारण पूर्ण सिद्धि दायक है । मंत्र जप पूर्ण होने पर साधना सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दे ।
जब अप्सरा आपके सामने प्रकट होगी तो आप उसका सवागत करें और हाथ में हाथ रखकर वचन लें। जब भी आप इस मंत्र (Urvashi Shabar Mantra) का १ बार उच्चारण करेंगे वह आपके सामने प्रस्तुत हो जाएगी । इस प्रकार उर्वर्शी शाबर मंत्र साधना (Urvashi Shabar Mantra Sadhana) संपन्न होती है ।
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