Vrishchik Rashi Ke Logon Ke Bare Me Kuchh Khaas Baatein :
वृश्चिक – तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
राशि स्वरूप – बिच्छू जैसा
राशि स्वामी – मंगल
वृश्चिक राशि (vrishchik rashi) का चिह्न बिच्छू है और यह राशि उत्तर दिशा की प्रतीक है। वृश्चिक राशि (vrishchik rashi) जलतत्व की राशि है। इसका स्वामी मंगल है। यह स्थिर राशि है। कुंडली में मंगल की कमजोर स्थिति से रोग हो सकते हैं। ये लोग एलर्जी से भी अक्सर परेशान रहते हैं। विशेषकर जब चंद्रमा कमजोर हो। वृश्चिक राशि वालों में दूसरों को आकर्षित करने की अच्छी क्षमता होती है। इस राशि (vrishchik rashi) के लोग बहादुर, भावुक होने के साथ – साथ कामुक भी होते हैं। इस राशि वालों को पैतृक संपत्ति मिलने का प्रबल योग होता है। जातक अगर अधिक पढ़े – लिखे न हों तो प्रायः झगड़ालू स्वभाव के होते हैं तथा दूसरों के समझाने से भी समझ नहीं पाते हैं।
1- इनकी शारीरिक संरचना अच्छी तरह से विकसित होती है। इनके कंधे चौड़े होते हैं। इनमें शारीरिक व मानसिक शक्ति प्रचूर मात्रा में होती है। इन्हें बेवकूफ बनाना आसान नहीं होता है, इसलिए कोई भी इन्हें धोखा नहीं दे सकता। ये हमेशा साफ – सुथरी और सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं। ये लोग ज्यादातर दूसरों के विचारों का विरोध करते हैं। कभी – कभी ये आदत इनके विरोध का कारण भी बन सकती है। ये अक्सर विविधता की तलाश में रहते हैं।
2- वृश्चिक राशि के लड़के बहुत कम बोलते होते हैं। जातक एक जिम्मेदार गृहस्थ की भूमिका निभाते हैं। ये अति महत्वाकांक्षी और जिद्दी होते हैं। अपने रास्ते चलते हैं मगर किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते। लोगों की गलतियों और बुरी बातों को याद रखते हैं और समय आने पर उनका उत्तर भी देते हैं। इनकी वाणी कटु और गुस्सा तेज होता है मगर मन साफ होता है।
3- दूसरों में दोष ढूंढने की आदत होती है। जोड़ – तोड़ की राजनीति में चतुर होते हैं। जातक बहुत जल्दी क्रोध से उबल पड़ते हैं और कोई भी अप्रत्याशित कार्य कर बैठते हैं। अपने प्रतिद्वंदी के प्रति कोई भी हिंसक कार्य करने से नहीं चूकते हैं। इस राशि वालों को चाहिए कि बुरे समय में शांत रहें और अपने स्वभाव के बारे में फिर से विचार – विमर्श करें।
4- वृश्चिक राशि के बच्चे परिवार से अधिक स्नेह रखते हैं। कम्प्यूटर – टीवी का बेहद शौक होता है। दिमागी शक्ति तीव्र होती है, खेलों में इनकी रुचि होती है। वृश्चिक राशि वाले जातक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले व संकल्पवान होते हैं। जातक जिस कार्य को करने की ठान लेते हैं , उसे पूरा करके ही निश्चिंत होते हैं। ये अपने जीवन में आए संघर्षों व कठिनाइयों के आगे डटे रहते हैं एवं अंतत: उन पर विजय प्राप्त करते हैं।
5- जातक अतिव्ययी होते हैं। ये सेना, पुलिस, अग्निशमन सेवाएं, चिकित्सा, गणितज्ञ, उच्च प्रशासनिक अधिकारी क्षेत्रों में विशेष रूप से सफल होते हैं। मंगल के कारण इनके मुख पर तेज होता है। जातक अभिमान करने वाला, हठ करने वाला , बोलने में चतुर, धार्मिक विचार रखने वाला होता है। इनके जीवन का लक्ष्य धन कमाकर सब प्रकार का प्रभुत्व एवं आनंद प्राप्त करना है। जातक मे अच्छे एवं बुरे दोनों गुण होते है ये एक साथ कई कार्य कर सकते है। ये कार्य को हड़बड़ाहट में करते हैं और इनका मन अनेक कार्यो में लगा रहता है। अपनी माता के प्रति प्रेम रखने वाला , अपने बच्चों तक के लिये भी क्रुरता रखने वाला । ये अपना अपमान सहन नहीं कर सकते हैं। इनकी प्रगति धीरे – धीरे होती हैं। इनमे धार्मिक भावनाओं के साथ वासनात्मक भावनाए भी होती हैं।
6- इनमें आकर्षित करने की शक्ति होती है दूसरे के मन की गहराई तक पहुंचकर सब को आकर्षित कर लेते हैं। ये साहसी तथा दुश्मनो को जीतने वाले होते हैं। दुःख व परेशानियों से अधीर नहीं होते हैं। धैर्य इनमे बहुत होता है परंतु स्पष्टवादिता तथा हठी प्रवृति के कारण इनको हानि उठानी पड़ती है। अपने पराक्रम से सामाजिक व राजनीतिक कार्यो में ये सफलता प्राप्त करते हैं।
7- वृश्चिक राशि (vrishchik rashi) वाले जातक बहुत बुद्धिमान होते हैं। इनकी कल्पनाशक्ति बहुत अच्छी होती है। मंगल के प्रभाव के कारण इनका स्वभाव उत्तेजनात्मक व उग्र होता है। ये क्षणिक आवेश में आ जाते हैं। ये किसी के अधीन रहकर कार्य करने में कठिनाई महसूस करते हैं। ये अपने परिश्रम से अपने जीवन में प्रगति व उन्नति करते हैं। इनका दांपत्य जीवन सामान्यत: सफल होता है। किंतु उसके लिए इनके जीवनसाथी को इनकी इच्छाओं के अनुरूप कार्य करना होता है।
8- जातक काफी आकर्षक एवं रहस्यात्मक नजर आते हैं। राशि (Vrishchik Rashi) का स्वामी मंगल होने के कारण इनका व्यक्तित्व दबंग और क्रोधयुक्त होता है। ये स्वभाव से बहुत गंभीर होते हैं। निडर भी होते हैं साथ ही जिद्दी भी। इनके मित्र बहुत होते हैं। इनके बड़े अधिकारी इनकी मदद भी करते हैं। जातक यात्राएं बहुत करते हैं, किंतु उनका कोई लाभ इन्हें नहीं मिलता है।
9- इनकी तीव्रता का आप अंदाजा नहीं लगा सकते। इनमें अंतर्ज्ञान की एक गहरी भावना होती है। ये (Vrishchik Rashi) बहुत जिज्ञासु प्रवृति के होते हैं। इनका व्यक्तित्व काफी संदिग्ध नजर आता है। ये एक बहुत अच्छे, गहरे, ईमानदार और वफादार दोस्त की भूमिका निभा सकते हैं तो एक बहुत ही क्रूर, कपटी, धूर्त और खतरनाक दुश्मन भी हो सकते हैं। इन्हें सिरदर्द और स्नायु संबंधी रोग भी होते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि जातक प्रायः अधिक भोग – विलास करते हैं। जातक को संक्रामक रोगों से बचना चाहिए।
10- जातक बहुत धैर्यवान और प्रतिबद्ध होने के साथ ही रचनात्मक भी होते हैं। इनमें बदले की भावना बहुत भयंकर घर कर लेती है और अपने विरोधी को अचानक जबरदस्त चोट पहुंचाने का इरादा रखते हैं। हालांकि ये बहुत भावुक और संवेदनशील भी होते हैं लेकिन इनकी जटिलता सामने वाले में एक अनिश्चित भय का संचार भी करती है। जातक जब एक बार निराश हो जाते हैं तो इनका मनोबल टूट जाता है। इनकी इच्छाशक्ति बहुत दृढ़ होती है।
11- खोजी स्वभाव के वृश्चिक (vrishchik rashi) जातक कार्यस्थल पर भी बारिकी से काम करने के लिए जाने जा सकते हैं। कार्यक्षेत्र से संबंधित शोध कार्य करने में इनकी रुचि होती है। अपनी इसी प्रवृति के कारण ये काफी जानकारियां जुटा लेते हैं और अपने ज्ञान के बल पर तरक्की हासिल करते हैं। नकारात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक परिणाम हासिल करने का मादा इनके अंदर होता है। अत: कार्यस्थल पर वरिष्ठ अधिकारियों एवं सहकर्मियों को इनसे काफी उम्मीदें होती हैं। बुरे समय में ये साहस नहीं छोड़ते हैं और अपनी गति से चलते रहते हैं।
12- रोमांटिक रुप से देखा जाए तो ये बेहतर प्रेमी साबित हो सकते हैं। ये सामने वाले की नब्ज को बहुत जल्दी पहचान जाते हैं कि सामने वाला चाहता क्या है। इन्हें समझना भी टेढ़ी खीर होता है। इस राशि (vrishchik rashi) को बिच्छू का प्रतीक माना जाता है। बिच्छू का अगला भाग कोमल होता है, पिछला हिस्सा जहर से लबालब भरा हुआ होता है। दूसरों को संदेह की नजरों से देखने वाले जातक अपने स्वाभिमान और अपने सगो के प्रति बहुत रक्षात्मक होते हैं । यदि किसी ने इन्हें आघात पंहुचाया तो ये राशि चिह्न बिच्छु के प्रसिद्ध डंक की तरह अपने दुश्मन को नेस्तानाबुद करने में विश्वास करते हैं । ये अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से पालन करते हैं, परन्तु कहीं अन्दर बहुत गहराई में इनमें असुरक्षा की भावना घेरे रहती हैं कि इनके पीठ पीछे कुछ गलत हो रहा हैं। प्यार में इनका व्यवहार बहुत सधा हुआ और नपा – तुला होता है। जब इन्हे प्यार हो जाता है तो ये पूरी तरह समर्पित हो जाते हैं। इनका भाग्योदय 16 वर्ष की आयु में, 22 वर्ष की आयु में या 32 वर्ष की आयु में होता है। अध्यात्म में इनकी विशेष रूचि रहती है।
इस राशि (Vrishchik Rashi) की महिलाएं तीखे नयन – नक्ष वाली होती हैं। यह ज्यादा सुन्दर न हों तब भी इनमें आकर्षण रहता है। इनका बातचीत करने का विशेष अंदाज होता है। ये बुद्धिमान और भावुक होती हैं। इनकी इच्छा शक्ति बहुत दृढ़ होती है। स्त्रियां जिद्दी और अति महत्वाकांक्षी होती हैं। थोड़ी स्वार्थी प्रवृत्ति की भी होती हैं। स्वतंत्र निर्णय लेना इनकी आदत में होता है। मायके से अधिक स्नेह रहता है। नौकरीपेशा होने पर अपना वर्चस्व बनाए रखती हैं। इन लोगों में काम करने की क्षमता काफी अधिक होती है। वाणी की कटुता होती है, सुख – साधनों की लालसा सदैव बनी ही रहती है। ये स्वभाव से भले ही जिद्दी हों लेकिन उनके अंदर प्यार की भूख हमेशा रहती है। वृश्चिक राशि (Vrishchik Rashi) की महिलाओं के अंदर स्वार्थ की भावना भी होती है। इस राशि की महिलाएं हमेशा अपना फायदा देखती हैं। इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकती हैं। अपनी जिद्द और निर्णय को हावी बनाने के लिए वह ससुराल से ज्यादा मायके में स्नेह दिखाती हैं। वृश्चिक राशि (Vrishchik Rashi) की महिलाएं अगर विवाह के उपरांत नौकरी करती हैं तो इनकी इच्छा अपने घर में वर्चस्व जमाने की होती है। प्रायः इस राशि की स्त्रियां सबसे ज्यादा कामुक और रहस्यमयी होती हैं। इनके व्यक्तित्व में इतना आकर्षण होता है कि कोई भी चुंबक की तरह इनकी तरफ खिंचा चला आता है। इनमें दया और समाज की सेवा करने की भी भावना होती है। जीवनसाथी के रूप में वृश्चिक राशि (Vrishchik Rashi) वाली महिलाएं काफी दिलचस्प होती हैं। यह अपने साथी को हर परिस्थिति में सहयोग देती हैं। वृश्चिक राशि की (vrishchik rashi) महिलाओं को जानना किसी रहस्य से पर्दा उठाने जितना ही कठिन होता है। इस राशि की महिलाएं काफी रहस्यमयी होती हैं।
Ye Bhi Jaane Vrishchik Rashi Wale :
वृश्चिक राशि (Vrishchik Rashi) के जातक को भाग्योदय के लिए भगवान भोलेशंकर की उपासना करनी चाहिए। “ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः” ,” ॐ सों सोमाय नम: व ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप से भी लाभ होता है।
वृश्चिक राशि (Vrishchik Rashi) वाले को अपना भाग्य चमकाने के लिए सोना, चांदी, वंशपात्र, तंदुल, चावल, मिश्री, दही, सफेद कपड़ा, सफेद फूल, शंख, कपूर, सफेद बैल, सफेद चंदन, कांस्य, दूध, दही, सफेद सीपी, निर्मल जल, सफेद गाय, सफेद कुत्ता, खरगोश, सफेद बिल्ली, चकोर, हंस, बर्फ, जनेऊ, दक्षिणा के साथ ज्योतिषी से सलाह लेकर दान करना चाहिए। जातक प्रति सोमवार व जातक के जन्म नक्षत्र वाले दिन पीपल वृक्ष की 4 परिक्रमा लगाएं व सफेद पुष्प अर्पण करें। पीपल वृक्ष के नीचे प्रति सोमवार कपूर मिलकर घी का दीपक जलाना चाहिए। पीपल का एक पत्ता सोमवार को और एक पत्ता जातक के जन्म नक्षत्र वाले दिन तोड़ कर उसे अपने कार्य स्थल पर रखने से सफलता प्राप्त होती है और धन लाभ के मार्ग प्रशस्त होने लगते है।
Vrishchik Rashi Keliye Kuchh Salah :
1- बड़े भाई की आज्ञा का पालन करें।
2- तंदूर की मीठी रोटियां बनाकर गरीबों को खिलाएं तथा स्वयं तंदूर की रोटी न खाएं।
3- अलग-अलग मिट्टी के पात्रों में शहद तथा सिंदूर रखकर घर में स्थापित करें।
4- गुड़ या चीनी चीटियों को डालें।
5- धार्मिक स्थान पर बूंदी या लड्डू का प्रसाद चढ़ाकर बांटे।
6- लाल गुलाब दरिया में प्रवाहित करें।
7- हनुमानजी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
8- मंगलवार का उपवास रखें।
9- भाभी की सेवा करें।
10- लाल रुमाल का इस्तेमाल करें।
11- क्रोध पर काबू रखें।
12- निराश होने से बचें।
13- सिरदर्द और स्नायु संबंधी रोग होने पर चिकित्सीय सलाह लें।
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