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अनुभूत दुर्भाग्य नाशक प्रयोग :

अनुभूत दुर्भाग्य नाशक प्रयोग :

दुर्भाग्य नाशक प्रयोग : एक बिशेष प्रकार के ज्योतिषीय उपाय को सूचित करता है , जिसका उदेश्य ब्यक्ति के जीबन में दुर्भाग्य को दूर करना होता है ।यह अनुभूत और प्राचीन प्रथा से जडित हैं , जो बिशेष आबश्यकता और परिस्थितियों के आधार पर किया जाता है ।

दुर्भाग्य नाशक प्रयोग 1 :

शुक्लपक्ष प्रदोष के दिन शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करें उसके बाद शुद्ध सुगंधित जल से अभिषेक करें, फिर चन्दन का इत्र लगायें, त्रिपुंड लगायें, बेलफल, बेलपत्र, धतूरा,भांग,सुगंधित पुष्प से उनका श्रृंगार करें। गूगल,लोंग और कपूर की धूनी दें,12 घी के दीपक चन्द्राकार में जलायें और 108 बार श्रीसूक्त का पाठ करें । माघ शुक्ल पक्ष के प्रदोष से एक बर्ष का नियम करके देखिये आप स्वयं अपने भाग्य को परिवर्तित होते देखेंगे। ये अनुभूत प्रयोग है।

दुर्भाग्य नाशक प्रयोग 2 :

दुर्भाग्य से बचने के लिए या दुर्भाग्य नाश के लिए यहां एक अनुभूत टोटका बता रहे हैं । इसका बिना शंका के मन से पूर्ण आस्था के साथ करने से दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य वृद्धि होती है। फलतः सुख-समृद्धि एवं उन्नति प्राप्त होती है।
प्रयोग इस प्रकार है- सूर्योदय के उपरान्त और सूर्यास्त से पूर्व इस टोटके को करना है। एक रोटी ले लें। इस रोटी को अपने ऊपर से 31 बार वार लें। प्रत्येक बार वारते समय इस मन्त्र का उच्चारण भी करें। मन्त्र इस प्रकार है- ऊँ दुभाग्यनाशिनी दुं दुर्गाय नमः।”
बाद में रोटी को कुत्ते को खिला दें अथवा बहते पानी में बहा दें। इस प्रयोग से आप भी लाभ उठाएं और दूजों को भी बताकर लाभ पहुंचाएं । बिना शंका के इस प्रयोग को मन से करने से शीघ्र लाभ होता है ।
 
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