भूतिनी साधन मंत्र :

भूतिनी साधन मंत्र :

भूतिनी तंत्र ग्रन्थों में 8 प्रकार की मुख्य भूतानियाँ कही गई हैं –
(1) कुण्डलबती ,(2) सिन्दूरिणी, (3) हारिणी, (4) नटी, (5) महा नटी, (6) चेटीका, (7) कामेश्वरी एबं (8) कुमारिका

ये सभी भुतनियाँ सिद्ध हो जाने पर साधक की इच्छानुसार पत्नी, बहन अथबा माता के रूप में दर्शन देकर, उसके मनोरथों को पूरा करती हैं । इनकी साधन बिधि आदि के बिषय में निम्नानुसार समझना चाहिए ।

कुण्डलबती साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ कुण्डलबती क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि – रात के समय श्मशान में बैठकर उक्त मंत्र का 8000 की संख्या में जप करें । जब कुण्डलबती साधक के समक्ष प्रकट हो तब उसे रक्त का अर्घ्य दें । इससे कुण्डलबती प्रसन्न होकर माता की भाँती साधक की रक्षा करती रहती है तथा उसे नित्य 25 स्वर्णमुद्रा प्रदान करती है ।

सिन्दूरिणी साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ सिन्दुरिणी क्रू क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि – रात के समय सूने देब मन्दिर में बैठकर उक्त मंत्र का 8000 की संख्या में जप करने से सिन्दुरिणी भूतिनी प्रसन्न होकर पत्नीबत् साधक की इच्छाओं को पूरा करती है तथा बारहबें दिन बस्त्र भोजन तथा 25 स्वर्ण मुद्राएं आदि देती है ।

हारिणी साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ हारिणी क्रू क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि – रात के समय शिबलिंग के समीप बैठकर उक्त मंत्र का 8000 की संख्या में जप करने से हारिणी भूतिनी प्रसन्न होकर पत्नी के रूप में साधक की मनोभिलाषाओं की पूर्ति करती रहती है तथा उसे 8 स्वर्ण मुद्राएं एबं भोज्य पदार्थ प्रदान करती है ।

नटी साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ नटी क्रू क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि – बज्रपाणी के मन्दिर में जाकर प्रतिमूर्ति अंकित कर, कनेर के पुष्पों द्वारा पूजन एबं उक्त मंत्र का 8000 की संख्या में जप करने से नटी भूतिनी प्रसन्न होकर साधक की सेबिका के रूप में उसे प्रतिदिन बस्त्र, आभूषण तथा भोज्य पदार्थ आदि देती है ।

महानटी साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ महानटी क्रू क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि – नदी के संगम-स्थल जाकर उक्त मंत्र का 8000 की संख्या में 7 दिन तक जप करते रहने से महानटी भूतिनी प्रसन्न होती है । सूर्यास्त के समय चन्दन की धूप देनी चाहिए । महानटी प्रसन्न होकर साधक की पत्नी के रूप में रातभर उसके पास रहकर सेबा करती है तथा प्रतिदिन 100 पल स्वर्ण देकर प्रात: काल लौट जाती है । महानटी से रतिक्रिया कर लेने के बाद साधक को किसी अन्य स्त्री के साथ संसर्ग नहीं करना चाहिए ।

चेटिका साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ चेटिका क्रू क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि –रात के समय अपने घर के दरबाजे पर बैठकर उक्त मंत्र का 8000 की संख्या में नित्य तीन दिन तक जप करने से चिटिका भूतिनी साधक के समीप आकर उसकी सेबा करती है तथा उसकी प्रत्यक्ष आज्ञा का पालन करती हुई, समस्त अभिलाषाओं को पूर्ण करती है ।

कामेश्वरी साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ कामेश्वरी क्रू क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि – रात के समय मातृ- गृह में जाकर मत्स्य, मांस आदि समर्पित कर, उक्त मंत्र का नित्य 10000 की संख्या में 7 दिन तक जप करने से कामेश्वरी भूतिनी साधक के समीप प्रकट होती है । उस समय उसे भक्तिपूर्बक अर्घ्य देकर पत्नी के रूप में बरण करना चाहिए । तब भूतिनी साधक के सभी मनोरथों को पूरा करती है और उसे राज्याधिकार प्रदान करती है ।

कुमारिका साधन –
“ॐ ह्रौं क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ कुमारिका क्रू क्रू क्रू ॐ अ: ।।”

साधन बिधि – रात के समय किसी देबी –मन्दिर में बैठकर उत्तम शय्या बनाकर, चमेली के पुष्प श्वेत बस्त्र तथा श्वेत चन्दन से पूजा कर गूगल की धूप देकर, उक्त मंत्र का 8000 की संख्या में जप करने से कुमारिका भूतिनी प्रकट होकर, साधक की पत्नी के रूप में उसकी सभी मनोभिलाषाएं पूर्ण करती है तथा 8 स्वर्ण मुद्रा, 2 बस्त्र तथा कुबेर के घर के श्रेष्ठ भोजन लाकर देती है तथा साधक पर सदैब कृपा बरसाती रहती है ।

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चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है ।परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा ।उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे ।अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे। यंहा सिर्फ जानकारी के लिए दिया गया है । हर समस्या का समाधान केलिए आप हमें इस नो. पर सम्पर्क कर सकते हैं : 9438741641 (call/ whatsapp)

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