जन्म कुंडली और विदेश जाने का सम्बंध :
1-द्वादश भाव (12वां भाव) का स्वामी नवे भाव (9वां भाव) में स्थित होने पर यह एक संकेत हो सकता है कि व्यक्ति के लिए विदेश जाने का योग हो सकता है । व्यक्ति की भाग्य विदेश योग और विदेश में नौकरी या शिक्षा की दिशा में जा सकती है । इसके साथ ही, व्यक्ति की आवश्यकतानुसार विदेश योग जाने का योग बन सकता है । अगर द्वादश भाव का स्वामी बारहवे भाव (12वां भाव) में स्थित हो, तो भी विदेश योग बन सकता है । इस स्थिति में व्यक्ति की रुचि या आवश्यकता के आधार पर विदेश यात्रा की प्रासंगिकता हो सकती है, और यह संभावतः उनके व्यक्तिगत घटनाक्रमों और परिस्थितियों पर भी निर्भर करेगा ।
2-यदि नवे (9वें) भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में लग्नेश के साथ स्थित हो, तो इसका संकेत हो सकता है कि व्यक्ति के लिए विदेश में बसने का योग हो सकता है । यह स्थिति उनकी जीवन में विदेश में नौकरी, व्यापार, शिक्षा या स्थानांतर के आसानी से मौकों की सूचना देने में मदद कर सकती है । सम्मानपूर्ण जीवन जीने का योग इस स्थिति का एक अन्य पहलू हो सकता है । चतुर्थ भाव सम्मान, संपत्ति, और सुरक्षा के साथ जुड़ा होता है, और इसके साथ ही नवे भाव का स्वामी विदेश यात्रा और अन्य संवाद-संबंधित गतिविधियों में रुचि दिखा सकता है । इस योग से व्यक्ति को सम्मानपूर्ण जीवन का अवसर मिल सकता है जिसमें उन्हें विदेश में अध्ययन, काम, या व्यवसाय करने का मौका मिल सकता है ।
ध्यान दें कि यह सभी ज्योतिषिक विश्लेषण केवल संकेत और सम्भावनाओं की बात करते हैं और वास्तविकता में व्यक्ति के जीवन के अन्य पहलु भी मायने रखते हैं । व्यक्ति को हमेशा सवधान रहकर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, और सभी पहलुओं का ध्यान रखना चाहिए जब वे ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं ।