ब्यबसाय बृद्धि कारक तंत्र :
व्यवसाय तंत्र :यदि ब्यबसाय में घाटा आ रहा हो अथबा अपेक्षित लाभ न मिल रहा हो अथबा बिक्री और मुनाफा कम हो तो निम्नलिखित प्रयोग करने से साधक की मनोभीलाषा पूर्ण होगी ऐसा बताया गया है ।
मुर्गे के सिर की हड्डी लेकर एकान्त में आधी रात के समय किसी बरगद के बृक्ष के नीचे बैठ कर निम्नलिखित मंत्र द्वारा उस हड्डी को १००८ बार अभिमंत्रित करें ।
व्यवसाय तंत्र मंत्र –
“ॐ नम: शिबाय, नम: कुबेराय, नम: कमलासनी महालक्ष्मी देब्यै, क्रां क्रीं हूँ ब्यबसाय बृद्धि कुरु कुरु स्वाहा ।”
इसके बाद घर लौट कर उस अभिमंत्रित हड्डी के टुकड़ों को दो भागों में बिभाजित कर सोने, ताबे अथबा अष्ट धातु के दो ताबीजों में अलग अलग भर ले । फिर दोनों ताबीजों को धूप दे तथा एक ताबीज में पीले रंग का रेशमी डोरा पिरोकर अपनी दाई भुजा में बाँध ले तथा दूसरे ताबीज का मूंह बन्द करके उसे उस तिजूरी, गल्ले अथबा ऐसे स्थान में रख दे, जंहाँ दूकान अथबा फार्म की रकम रखी जाती हो ।
उक्त व्यवसाय तंत्र साधन के प्रभाब से ब्यबसाय में घाटा होना रूक जाता है और उसमें अकल्पित लाभ होना आरम्भ हो जाता है । जो ब्यबसायी इस व्यवसाय तंत्र ताबीज को धारण करता है । उसे दरिद्रता अथबा घाटे के अतिरिक्त अन्य किसी हानि का शिकार भी नहीं बनना पड़ता । यह प्रयोग ब्यबसाय के साथ ही नौकरी आदि अन्य क्षेत्रों में भी लाभ देता है ।
चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है ।परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा ।उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे ।अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे। यंहा सिर्फ जानकारी के लिए दिया गया है । हर समस्या का समाधान केलिए आप हमें इस नो. पर सम्पर्क कर सकते हैं : 9438741641 (call/ whatsapp)