श्री गणेश सिद्धि एबं पूजन :
श्री गणेश सिद्धि : गणेश रिद्धि सिद्धि पूजन के देबता है । प्रत्येक कार्य प्रारंभ करने से पूर्ब गणेश पूजन का रिबाज प्रत्येक हिन्दु परिबार में है। गणेश को ही गणपति कहते है ।“स्वस्तिक” गणपति का रूप माना जाता है । गणेश की पूजा में स्वस्तिक या गणेश जी की मूर्ति,चित्र अथबा यंत्र में से कुछ भी प्रयोग में ले सकते हैं । गणेश सिद्धि बहुधा गणेश चतुर्थी, अर्थात् भाद्रपद शुक्ल पख्य की चौथ को करना श्रेष्ठ बताया गया है । इस श्री गणेश सिद्धि की साधना के लिए प्रथम स्वछ शुद्ध होकर, बिधिपूर्बक यंत्र लिखकर या गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर उसका पूजन करें, फिर बिनियोग मंत्र बोलें ।
श्री गणेश सिद्धि बिनियोग मंत्र:
ॐ अस्य श्री महागणपति मंत्रस्य गणक ऋषि: निचृद्गायत्री छन्द: श्री महागणपतिर्देबता गं बीजं गीं शक्ति: गं: कीलकं श्री गणपति पीत्यर्थे जपे बिनियोग: ।
ऋष्यादिन्यास :
ॐ गणक ऋषये नम: (शिरसि)
ॐ निचृद् गायत्री छन्दसे नम: (मुखे)
ॐ श्री महागणपति देबतायै नम: (हृदये)
ॐ गं बीजाय नम: (गुह्वो)
ॐ गीं शक्त्ये नम: (पादयो)
ॐ कीलकाय नम: (नाभौ)
ॐ बिनियोगाय नम: (सर्बागे)
करन्यास :
ॐ अंगुष्ठाभ्यां नम: ।
ॐ गीं तर्जनीभ्यां नम: ।
ॐ गुं मध्यमाभ्यां नम: ।
ॐ गं अनामिकाभ्यां नम: ।
ॐ गौं कनिष्ठकाभ्यां नम: ।
ॐ गं करतलकर पृष्ठाभ्यां नम: ।
हृदयान्यास :
ॐ गं हृदयाय नम: ।
ॐ गों शिरसे नम: ।
ॐ गुं शिखायै बषट्।
ॐ गैं कबचाय हम्।
ॐ गौं नेत्रत्राय बौषट्।
ॐ ग: अस्त्राय फट्।
ध्यान :
चतुर्भुजं रक्त तनुं त्रिनेत्र पाशांग कुशौ मोदक पात्र दंन्तौ।
करैर्दधानं सरसी सहस्थं, गणाधिनाथं शशि चूडमीडे।।
इस तरह ध्यान करें और फिर मानस पूजा कर गणपति गणेश जी के इन नामों से उन्हें प्रणाम करते हुए दूर्बा चढायें। प्रथम गणेश जी की प्रार्थना इस प्रकार करें—
नमो नम: सुरबर पूजिताडघ्रये,
नमो नमो निरूपम मंगलात्मने।
नमो नमो बिपुल पदैक सिद्धये,
नमो नम: करि कलभाननाय ते।
प्रार्थना के बाद निम्न नाम मंत्रों से गणेश जी को २१ लड्डू अर्पित करें। प्रत्येक मंत्र के साथ एक लड्डू चढाते जायें।
1. ॐ गणजयाय नम: ।
2. ॐ गणपतये नम: ।
3. ॐ हिरम्बाय नम: ।
4. ॐ धरणीधराय नम: ।
5. ॐ महागणपतये नम: ।
6. ॐ लख्यप्रदाय नम: ।
7. ॐ खिप्र प्रसादनाय नम: ।
8. ॐ अमोघ सिद्धये नम: ।
9. ॐ अमिताय नम: ।
10. ॐ मंत्राय नम: ।
11. ॐ चिन्तामणये नम: ।
12. ॐ निधये नम: ।
13. ॐ सुमंग्लाय नम: ।
14. ॐ बीजाय नम: ।
15. ॐ आशापूरकाय नम: ।
16. ॐ बरदाय नम: ।
17. ॐ शिबाय नम: ।
18. ॐ कश्यपाय नम: ।
19. ॐ नन्दनाय नम: ।
20. ॐ बाचासिद्धय नम: ।
21. ॐ श्री ढुणिढराजाय नम: ।
यह 21 नाम मंत्र हैं जिनसे 21 लड्डू भेंट चढाते हैं।इनके बाद कबच पाठ करते हैं।
कबच पाठ :
ॐ आमोदश्च शिर: पातु प्रमोदश्च शिखोपरि।
सम्मोदा श्रूयुगे पातु भ्रूमध्ये च गणाधिप: ।।
गण्क्रीडश्चखुर्युगं नासायां गणनायक: ।
जिह्वायां सुमुख: पातु ग्रीबायां दुर्मुख: सदा।।
बिघ्नेशा हृदये पातु बाहुयुग्मे सदा मम।
बिघ्नकर्ता च उदरे बिघ्नहर्ता च लिंगके।।
गजबक्त्र: कटीदेशे एकदन्तो नितम्बके।
लम्बोदर: सदा पातु गुह्व देशे ममारुण: ।
ब्यालयज्ञोपबीती मां पातु पादयुगे सदा।
जापक: सर्बदा पातु जानुजंघे गणधिप:।।
हारिद्र: सबर्दा पातु सर्बांगे गणनायक: ।
इस कबच पाठ के बाद श्री गणेश सिद्धि मंत्र का जाप कर सकते हैं । जब तक जाप में मन लगे प्रसन्न एकाग्रचित होकर करते रहें । जाप श्री गणेश सिद्धि मंत्र यह है—
“ॐ ह्रीं श्रीं ग्लौं गं, गणपतये बर बरद सर्बजनं मे बशमानय स्वाहा।”
इस प्रकार गणेश पूजन, गणेश यंत्र सिद्धि और गणेश देबता की साधना करते है ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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