विवाह के बाद अवैध सम्बन्ध योग

विवाह के बाद अवैध सम्बन्ध योग :

अवैध सम्बन्ध योग : आजकल विवाहोपरांत पति-पत्नी के झगड़े तो आमबात बन गये हैं । पति-पत्नी में सामान्य नोंक-झोंक से तो प्रेम और बढ़ता हैं । लेकिन नाजायज संबंधों के कारण उत्पन्न होने वाले झगड़े दोनो के बिच में गाली गलोच-मारपीट, अलगाव, कोर्ट कचेरी के चक्कर एवं तलाक, आत्महत्या, कत्ल तक पहुंच जाती हैं ।
कई लडके-लड़की को ऐसा जीवन साथी मिलता हैं, जो अपने नाजायज संबंधों के कारण अपने पति-पत्नी को विभिन्न तरह कि यातनाएं देता है । ऐसी समस्याओं को भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मूल सिद्धांतो से ज्ञात किया जा सकता हैं की लडका या लड़की को कैसा पति-पत्नी मिलेगी ?
यदि किसी जन्म कुंडली में शुक्र उच्च का हो तो ऐसे व्यक्ति के कई प्रेम प्रसंग हो सकते हैं, जो कि विवाह के बाद भी जारी रहते हैं । मारपीट करने वाला कई स्त्री-पुरुष से अवैध सम्बन्ध योग रखने वाला जीवनसाथी मिलने के योग होने पर उन्हें मंत्र-यंत्र-तंत्र, रत्न इत्यादि उपाय करके ऐसे योग का प्रभाव कम किया जा सकता हैं ।
जन्म कुंडली के सप्तम भाव में मंगल चारित्रिक दोष उत्पन्न करता हैं स्त्री-पुरुष के विवाहेत्तर अवैध सम्बन्ध योग भी बनाता है । संतान पक्ष के किये कष्टकारी होता हैं । मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण पति-पत्नी में दूरियां बढ़ती हैं ।
जन्म कुंडली के द्वादश भाव में मंगल शैय्यासुख, भोग, में बाधक होता हैं ।। इस दोष के कारण पति पत्नी के सम्बन्ध में प्रेम एवं सामंजस्य का अभाव रहता हैं । यदि मंगल पर ग्रहों का शुभ प्रभाव नहीं हों, तो व्यक्ति में चारित्रिक दोष और गुप्त रोग उत्पन्न करसकता हैं । व्यक्ति जीवनसाथी को घातक नुकसान भी कर सकता हैं ।
ध्यान रखें, जन्म कुंडली में सप्तम भाव में शुक्र स्थित व्यक्ति को अत्याअधिक कामुक बनाता हैं जिससे विवाहेत्तर अवैध सम्बन्ध योग बनने कि संभावना प्रबल रहती हैं । जिस्से वैवाहिक जीवन का सुख नष्ट होता हैं ।
यदि जन्म कुंड़ली के सप्तम भाव में सूर्य हो, तो अन्य स्त्री-पुरुष से अवैध सम्बन्ध योग बनाने वाला जीवनसाथी मिलता है । यदि जन्म कुंड़ली मे शत्रु राशि में मंगल या शनि हो, अथवा क्रूर राशि में स्थित होकर सप्तम भाव में स्थित हो, तो क्रूर, मारपीट करने वाले जीवनसाथी कि प्राप्ति होती हैं ।
यदि जन्म कुंड़ली मे सप्तम भाव में चन्द्रमा के साथ शनि की युति होने पर व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति प्रेम नहीं रखता एवं किसी अन्य से प्रेम कर अवैध संबंध रखता है । यदि जन्म कुंड़ली मे सप्तम भाव में राहु होने पर जीवनसाथी धोखा देने वाला कई स्त्री-पुरुष से संबंध रखने वाला व्यभिचारी होता हैं व विवाह के बाद अवैध संबंध बनाता है । उक्त ग्रह दोष के कारण ऐसा जीवनसाथी मिलता हैं जिसके कई स्त्री-पुरुष के साथ अवैध संबंध होते हैं । जो अपने दांपत्य जीवन के प्रति अत्यंत लापरवाह होते हैं । यदि जन्म कुंड़ली मे सप्तमेश यदि अष्टम या षष्टम भाव में हों, तो यह पति-पत्नी के मध्य मतभेद पैदा होता हैं । इस योग के कारणा पति-पत्नी एक दूसरे से अलग भी हो सकते हैं । इस योग के प्रभाव से पति-पत्नी दोंनो के विवाहेत्तर संबंध बन सकते हैं । इस लिये जिनपुरुष और कन्या कि कुंडली में में इस तरह का अवैध सम्बन्ध योग बन रहा हों उन्हें एक दूसरे कि भावनाओं का सम्मान करते हुवे अपने अंदर समर्पण कि भावना रखनी चाहिए ।
नोट:- यह समान्य जानकारी है कुंडली में उपस्थित ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है कि वह जातक के जीवन पर कितना और किस तरह का प्रभाव डालेगें । कुंडली का विश्लेषण करवाने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचे ।

To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us : 9438741641 {Call / Whatsapp}

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment