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शनिदेव
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शनि दोषयुक्त हो तो
ज्योतिष शास्त्र में शनि ऐसा ग्रह है जिससे राजा हो या रंक, सभी भयभीत हो जाते हैं । मान्यता है कि जिस पर शनि की दृष्टि हुई, उसका सर्वनाश होते देर नहीं लगती । वास्तव में यह सच नहीं है । शनिदेव सूर्य के पुत्र तथा न्यायदाता हैं । जिस जातक की प्रवृत्ति सात्विक होती है, वे उसे अधिक कष्ट नहीं देते ।
कुछ उपाय किए जाएं तो उसे अत्यंत शुभ फल की प्राप्ति होती है । इसके उलट, अगर किसी की तामसी प्रवृत्ति हो तो उसे शनिदेव — दंड अवश्य देते हैं ।
सात्विक प्रवृत्ति वाले जातक की कुंडली में शनि दोषयुक्त हो तो कुछ सरल उपाय करने से वे शीघ्र ही प्रसन्न भी हो जाते हैं । ऐसा व्यक्ति जीवन में यश एवं सफलता प्राप्त करता है । जानिए, कुछ आसान उपाय जो आपकी कुंडली में शनि सहित विभिन्न ग्रहों के दोष का निवारण कर देंगे ।
1) अगर जातक के कार्य बार—बार बिगड़ रहे हों और कुंडली में शनि दोषयुक्त हो तो उसे नित्य गीता के प्रथम अध्याय का पाठ करना चाहिए । खासकर शनिवार और गुरुवार को पाठ अवश्य करना चाहिए ।
2) अगर गुरु और शनि की युति हो अथवा शनि की सप्तम दृष्टि गुरु पर हो तो जातक को विद्या एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं । ऐसे में गीता के दूसरे अध्याय का पाठ करना चाहिए ।
3) अगर दशम भाव में शनि हो और कुंडली में गुरु की स्थिति शुभ न हो तो जातक को करियर के मार्ग में बाधाओं का सामना करना पड़ता है । उसे गीता के तीसरे अध्याय का पाठ करना चाहिए ।
4) अगर कुंडली के नौवें भाव में शनि दोषयुक्त हो तो तथा अन्य ग्रहों की स्थित शुभ न हो तो पिता को हानि होने की आशंका रहती है । ऐसे जातक को गीता के चौथे अध्याय का पाठ करना चाहिए ।
5— अगर अष्टम भाव में शनि दोषयुक्त हो तो ऐसे जातक को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । इस समस्या के निवारण के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना चाहिए ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : 9438741641 / 9937207157 (call/ whatsapp)

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