छिन्नमस्ता साधना
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मां काली की तांत्रिक साधना और जीवनरक्षा :
मां काली की तांत्रिक साधना कैसे करें?
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शत्रु नाशक शाबर धूमावती साधना :
दस महाविद्याओं में माँ धूमावती का स्थान सातवां है और माँ के इस स्वरुप को बहुत ही उग्र माना जाता है माँ का यह स्वरुप अलक्ष्मी स्वरूपा कहलाता है किन्तु माँ अलक्ष्मी होते हुए भी लक्ष्मी है एक मान्यता के अनुसार जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ किया तो उस यज्ञ में शिव जी को आमंत्रित नहीं किया माँ सती ने इसे शिव जी का अपमान समझा और अपने शरीर को अग्नि में जला कर स्वाहा कर लिया और उस अग्नि से जो धुआं उठा ) उसने माँ धूमावती का रूप ले लिया इसी प्रकार माँ धूमावती की उत्पत्ति की अनेकों कथाएँ प्रचलित है जिनमे से कुछ पौराणिक है और कुछ लोक मान्यताओं पर आधारित है
नाथ सम्प्रदाय के प्रसिद्ध योगी सिद्ध चर्पटनाथ जी माँ धूमावती के उपासक थे उन्होंने माँ धूमावती पर अनेकों ग्रन्थ रचे और अनेकों शाबर मन्त्रों की रचना भी की यहाँ मैं माँ धूमावती का एक प्रचलित शाबर मंत्र दे रहा हूँ जो बहुत ही शीघ्र प्रभाव देता है कोर्ट कचहरी आदि के पचड़े में फस जाने पर अथवा शत्रुओं से परेशान होने पर इस मंत्र का प्रयोग करे
माँ धूमावती की उपासना से व्यक्ति अजय हो जाता है और उसके शत्रु उसे मूक होकर देखते रह जाते है
विशेष पूजा सामग्रियां-
पूजा में जिन सामग्रियों के प्रयोग से देवी की विशेष कृपा मिलाती है …
सफेद रंग के फूल, आक के फूल, सफेद वस्त्र व पुष्पमालाएं , केसर, अक्षत, घी, सफेद तिल, धतूरा, आक, जौ, सुपारी व नारियल , मेवा व सूखे फल प्रसाद रूप में अर्पित करें। दूर्वा, गंगाजल, शहद, कपूर, चन्दन चढ़ाएं, संभव हो तो मिटटी के पात्रों का ही पूजन में प्रयोग करें ।
देवी की पूजा में सावधानियां व निषेध-
बिना गुरु दीक्षा के इनकी साधना कदापि न करें । थोड़ी सी भी चूक होने पर विपरीत फल प्राप्त होगा और पारिवारिक कलह दरिद्र का शिकार होंगे ।
|| शाबर धूमावती साधना मंत्र ||
“ ॐ पाताल निरंजन निराकार
आकाश मंडल धुन्धुकार
आकाश दिशा से कौन आई
कौन रथ कौन असवार
थरै धरत्री थरै आकाश
विधवा रूप लम्बे हाथ
लम्बी नाक कुटिल नेत्र दुष्टा स्वभाव
डमरू बाजे भद्रकाली
क्लेश कलह कालरात्रि
डंका डंकिनी काल किट किटा हास्य करी
जीव रक्षन्ते जीव भक्षन्ते
जाया जीया आकाश तेरा होये
धुमावंतीपुरी में वास
ना होती देवी ना देव
तहाँ ना होती पूजा ना पाती
तहाँ ना होती जात न जाती
तब आये श्री शम्भु यती गुरु गोरक्षनाथ
आप भई अतीत
ॐ धूं: धूं: धूमावती फट स्वाहा ।।
|| शाबर धूमावती साधना विधि ||
41 दिन तक इस मंत्र की रोज रात को एक माला जाप करे ! तेल का दीपक जलाये और माँ को हलवा अर्पित करे ! इस मंत्र को भूल कर भी घर में ना जपे, जप केवल घर से बाहर करे ! मंत्र सिद्ध हो जायेगा !
|| शाबर धूमावती साधना प्रयोग विधि .१ ||
जब कोई शत्रु परेशान करे तो इस मंत्र का उजाड़ स्थान में 11 दिन इसी विधि से जप करे और प्रतिदिन जप के अंत में माता से प्रार्थना करे –
” हे माँ ! मेरे (अमुक) शत्रु के घर में निवास करो
ऐसा करने से शत्रु के घर में बात बात पर कलह होना शुरू हो जाएगी और वह शत्रु उस कलह से परेशान होकर घर छोड़कर बहुत दुर चला जायेगा
|| शाबर धूमावती साधना प्रयोग विधि .२ ||
शमशान में उगे हुए किसी आक के पेड़ के साबुत हरे पत्ते पर उसी आक के दूध से शत्रु का नाम लिखे और किसी दुसरे शमशान में बबूल का पेड़ ढूंढे और उसका एक कांटा तोड़ लायें फिर इस शाबर धूमावती साधना मंत्र को 108 बार बोल कर शत्रु के नाम पर चुभो दे ऐसा 5 दिन तक करे , आपका शत्रु तेज ज्वर से पीड़ित हो जायेगा और दो महीने तक इसी प्रकार दुखी रहेगा
नोट – इस शाबर धूमावती साधना मंत्र के और भी घातक प्रयोग है जिनसे शत्रु के परिवार का नाश तक हो जाये किसी भी प्रकार के दुरूपयोग के डर से मैं यहाँ नहीं लिखना चाहता इस शाबर धूमावती साधना मंत्र का दुरूपयोग करने वाला स्वयं ही पाप का भागी होगा

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641/ 9937207157  {Call / Whatsapp}

जय माँ कामाख्या

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