Aghor Bidveshan Prayog :
षट्कर्म तंत्र शास्त्र का एक अभिन्न अंग है । बिना अस्त्र – शस्त्र प्रयोग किए मार देना मारण प्रयोग कहलता है । इसका प्रयोग (Aghor Bidveshan Prayog) अत्यंत संकट उत्पन्न होने पर करना चाहिए । कभी किसी के ऊपर तथा अकारण मारण प्रयोग नहीं करना चाहिए । केबल स्वयं को मृत्युतुल्य संकट स्थिति में जानकार ही इसका प्रयोग कर सकते हो । और जंहा आप बिद्वेषण प्रयोग की बात आ रहा है, वंहा देखना चाहिए , अगर मेरा काम बिद्वेषण प्रयोग से हो जाता है तो वंहा मारण प्रयोग का क्या जरुरत है । ये बात इसीलिए बोल रहा हूँ, आजकल की समय में बहुत बार मेरे पास इसे बहत फ़ोन कॉल आरहा है …हमको तो मारण प्रयोग करना चाहिए । आरे हम तो एक जीबन दे नही सकते …मृत्यु दण्ड क्यूँ हम देंगे , इसे बहत बार समझाना पड़ता है लेकिन बिडम्बना की बिषय ये है आजके समय में कौन किसका बात मानता है ना कोई इसके ऊपर गहराई से बिचार करता है । आज हम इस बिषय बस्तु में अघोर बिद्वेषण प्रयोग की बारे में चर्चा करते हैं ।
Aghor Bidveshan Prayog Ki Devi :
अघोर बिद्वेशण प्रयोग (Aghor Bidveshan Prayog) की देबी को ज्येष्ठा मानी जाती है ।अघोर बिद्वेशण प्रयोग का निबास स्थान बुद्धि पर माना जाता है । बिशेष भाब से पूजा अनुष्ठान में धतूरे के फलों तथा पुष्पों द्वारा हबन करना चाहिए और पूजा पाठ के समय नैऋत दिशा की और मुंह करना चाहिए ।
Benefits Of Aghor Bidveshan Prayog :
शत्रुबर्ग बिद्वेषण , स्थान बिद्वेषण , मित्रता बिद्वेषण , प्रणय बिद्वेषण , मति बिद्वेषण , एकता बिद्वेषण इत्यादि काम अघोर बिद्वेषण प्रयोग से किया जाता है और शत्रु को जबरदस्त एक शिक्षा मिल जाता है। यंहा पर कुछ अघोर बिद्वेशण प्रयोग का छोटा मोटा उपाय दे रहा हूँ , ताकि इसका उपाय आप करके लाभ उठा सकते हो ।
(क) कोवे और उल्लु के पंखो से जिन दो जनो के नाम से होम करा जाय उन दोनो की मोहब्बत टुट जाय !
(ख) किसीके घर मे काग,उल्लु ,गधे और घोडे का शिर दाब देने से उस घर मे सदा कलेश हुआ करता है!
(ग) चुहा,बिल्ली,ब्राह्मण, सन्यासी इन चारोके रुये इक्ट्ठे करके धूप दे तो रबाबिन्द बीबी और बाप बेटेमे झग्डा हो जाये!
(घ) उल्लु की जीभ लाकर पेठे के रस मे डुबोबे ,फिर इनसे धूप दे, दो आदमियो मे झगडा हो जायेगा!
(ङ) ढाक की लक्डी को लाकर कुल्हाडी से काटे, फिर उस्को पीसे ! यह चुण जिन दो आदमियो के बीच मे डाला जायगा !उन दोनो मे झगडा हो जायगा !
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जय माँ कामाख्या