Chandal Sadhana Vidhi :
प्रेत साधना की कोटि में अत्यन्त उग्र और निकृष्ट किस्म के बहुत बलशाली किस्म का प्रेत चाण्डाल ही है जो धर्म अधर्म का बिचार किए बिना साधक के लिए सब कुछ कर गुजरता है ।
Chandal Sadhana Parichay :
चाण्डाल बे मानबीय जातियां है जो धर्महीन, धर्मभ्रष्ट, बर्णसंकर तथा अभिशप्त हो गए थे । प्रेतयोनियों में चाण्डाल प्रेत बडे उग्र बहुत शक्तिशाली और आज्ञापालक होते हैं, सहजता से सिद्ध नहीं होते, काफी परिश्रम कराते हैं । लेकिन सिद्ध हो जाने पर फिर ये साथ नहीं छोडते, बडी लगन से अपने साधक के सेबक बनकर सेबा करते हैं ।
Chandal Sadhana Phal :
चाण्डाल पापाचार की बृति का प्रेत है दुराचार, परस्त्री गमन, बेश्याबृति, मद्द्यपान, चोरी, जुआ, हत्या, अपराध, अधर्म के कार्य, कलह, अन्याय, झगडा, डकैती, पाखण्ड आदि की मनोबृति तथा बल और तरह-तरह से सुख पाने का लाभ चाण्डाल देता है ।
Chandal Sadhana Ke Patra :
चाण्डाल साधना केबल उन्हें करनी चाहिए जो धर्म अधर्म को न मानते हों, जो दिन रात पापाचार में लिप्त रहते हों, पापी हों, मदिरापान और दुराचार, हिंसा नानाप्रकार के धार्मिक अपराध करते हों तो ऐसे लोगों को चाण्डाल शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है और साधक के साथ उसे रहने में असुबिधा भी नहीं होती किन्तु धार्मिक लोगों से चाण्डाल बचकर रहता है ।
Chandal Sadhana Bidhan :
चाण्डाल की साधना अमाबस्या की रात प्रेतेश्वर और चाण्डाल की पूजा करके धूपबती जला के बैश्या को नंगी कर स्बयं नग्न हो उसके साथ रमण करते हुए (मैथुन/सम्भोग करते हुए) जप करके की जाती है । रात १ बजे से प्रारम्भ कर २ बजे रात तक लगातार बार-बार मैथुन करें और निम्न मंत्र का जप करें । मन ही मन उसका आह्वान करें कि तुम भी मेरे साथ आकर स्त्री भोग करो, मदिरा पियो १००० जप पूरा होते होते चाण्डाल का आबेश शरीर में होने लगता है ।
Chandal Sadhana Vidhi :
रात में बैश्या को साथ लेकर निर्जन खण्डहर में शज्या सजाएं, मांस मदिरा खाके चाण्डाल की साधना से पूर्ब प्रेतेश्वर का पूजन शय्या से ५ हाथ दूर मण्डल बनाकर मदिरा मांस सिन्दूर से करें फिर शय्या के पास चाण्डाल की पूजा करें ।
Chandal Sadhana Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो: प्रेतेश्वर एकं चाण्डालं मम सेबकं/ मित्रं शीघ्रं कुरूते नम: ।।”
साधना निर्बाह : मैथुन करना यदि लगातार सम्भब न हो तो जप करता रहे । रूक-रूककर मैथुन करे, फिर चाण्डाल साधना मंत्र जप करे तो ३००० पूरा करते करते चाण्डाल शरीर में निश्चय ही प्रबिष्ट हो जाता है । अमाबस्या से अगली अमाबस्या तक नित्य बही पूजन जप और उसी बेश्या या किसी स्त्री से सम्भोग करे तो अगली अमाबस्या को चाण्डाल बात करने लगता है अथबा प्रकट होकर बर देता है उसे सेबक अथबा मित्र बना लेना चाहिए, फिर बो साथ रहता है ।
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