Rakshas Sadhana :
राक्षस भी एक प्रकार के उपदेबता होते हैं जो बहुत शक्तिशाली होते हैं और साधक के लिए कुछ भी करने को सदैब तत्पर रहते हैं किंतु इनका उपयोग अधर्म के काम में न करें । ये धर्मबान् होते हैं ।
Rakshas Sadhana Parichay :
राक्षस एक धर्मरक्षक उपदेब प्रजाति है जो निर्जन स्थलों, जंगलों, सूने जलाशयों के वृक्ष तथा निर्जन नदी तटों और सागरों के समीप पाई जाती है । ये सामान्यत: जलों और भूमिगत धनों के रक्षक होते हैं । अदृश्य रहते हैं तथा साधनों से प्रत्यक्ष भी हो जाते हैं ।
Rakshas Sadhana Phal :
राक्षस बहुत बिश्वसनीय और बफादार सहायक होते हैं । बे मित्र की भांति अपने साधक के लिए प्राण तक दे डालते हैं लेकिन जब भी काम पर भेजें तो धूप तब तक जलता रहे, जब तक राक्षस लौट न आबे । इससे उसे शक्ति मिलती है और बो काम करके शीघ्र लौटता है । ऐसे साधक के शत्रु भयभीत रहते हैं तथा बह राज्याधिकारियों का प्रिय बना रहता है ।
Rakshas Sadhana Bidhan :
निर्जन स्थान में जाकर पुराने बट वृक्ष के नीचे सफाई कर साधना योग्य स्थान बना लेबें और झोपडी डालकर बहीं साठ दिन तक निबास करता रहे । नित्य सायंकाल दिन ढलते समय स्नान कर संध्या बन्दन करे । फिर बट बृक्ष के नीचे साधना स्थल पर अकेला बैठकर जल फूल चाबलादि से राक्षस राज की पूजा “ॐ नमो: राक्षसराजाय पूजनं ददम् अर्पणं अस्तु स्वाहा। ।“ मंत्र से पूजा करे फिर बीर राक्षस की पूजा बहीं अलग गोल घेरे में करे । स्थान गोबर से लीपकर शुद्ध कर लें । पूजा के बाद सुगन्धित धूप और तेल का दीपक पूरी रात जलता रहे, जब तक जप पूरा न हो जाए । फिर ३३ माला जप साधना मंत्र का रुद्राक्ष की माला से करे ।
Rakshas Sadhana Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो: बीर राक्षस मम संगिनो भय ममोपरि प्रसीद स्वाहा।।”
पूजा मंत्र : “ॐ नमो: बीर राक्षस मम पूजा ग्रहण ग्रहण स्वाहा।।”
इस मंत्र से राक्षस की पूजा करें ।
Rakshas Sadhana Vidhi :
रात के समय जल, फूल, चाबल, चन्दन से पूजा मंत्र से पूजा करके खीर, पूरी, पूए का भोग लगाएं दूध और जल अलग अलग मिट्टी के पात्रों में देबें भोजन पतल में देबें । यह क्रिया तीन पूर्णमासी तक पूरे साठ दिन करने पर राक्षस आकर मित्र बन साथ रहने लगता है ।
साधक की गति : मरने के बाद साधक को राक्षस के साथ ही बहुत लम्बे समय तक निबास करना पडता हैं उसकी मुक्ति फिर सैकडों जन्मों तक नहीं हो पाती है ।
साधना के पश्चात् : साधना सिद्ध होने पर भी अमाबस पूर्णमासी को अपने सिद्ध राक्षस के लिए साधना स्थल पर जाकर साधना बाली ही पूजा अबश्य देता रहे अन्यथा राक्षस नाराज होकर नुकसान करने लगता है ।
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