गुप्त अघोर साधना क्या है?

प्राचीन गुप्त अघोर साधना (Gupt Aghor Sadhana) अघोरी की शैब मंत्र की बिद्दा केबल जानकारी हेतु दी गई है, इसको न करें..

साधकों गुप्त अघोर साधना (Gupt Aghor Sadhana) कोई आम प्रयोग नहीं है, यह शैब तंत्र की साधना में आती है । यह गुप्त अघोर साधना (Gupt Aghor Sadhana) अत्यंत उग्र है । अघोरीयों के आगे बडे-बडे साधक एबं देबता भी कापते है । इन गुप्त अघोर साधना (Gupt Aghor Sadhana) को सिध करना देवी-देबता को सिध करना उतना ही कठिन माना जाता है । ये अघोरी हजारों शक्तियों से सम्पन्न एबं उग्र सिद्धियो के स्वमी होते है । इनका निबास हिमालय, मांसरोबर, कैलाशपर्बत की गुफाओं मे है । जो हजारों बर्षो से ये अघोरी जप-तप-साधना में लीन हैं । ये मनुष्य के रुप मे पुन्यशाली महानआत्मा हैं जो हमारे सनातन धर्म में पूजनीय है । ये देबताओं के लिये भी सम्मानीय होते हैं । ये भगबान शिब के परम भक्त होते हैं । भगबान शिब महारुद्र स्वयं इनके आदि गुरु है ।
 
इन अघोरीयों की आयु की कोई सीमा तय नहीं होती है । इनका जीबन अनोखा होता है । ये योग एबं सिद्धियो के द्वारा अपनी काया (शरीर) को पंचतत्वों में भी बिलीन कर सकते हैं तथा ये बिना खाये-पीये हजारों साल तक तप करते हैं । ये अपने प्राणों को ब्रम्हाण्ड (मस्तक) में चढाकर योग तथा समाधि लगाते हैं एबं अपने शरीर से प्राणों को बाहर निकालकर भी बे आकाश में बिचरण कर सकते हैं । इनके पास अनेकों सिद्धिया और शक्तियां होती हैं । जिससे बे मनचाहा रुप धारण कर सकते हैं तथा आकाश मार्ग से भि आ जा सकते हैं तथा ये पानी एबं अग्नि पर भी चल सकते हैं । इनका रहन-सहन खान-पान संसार के मनुष्यों से बिपरीत भिन्न होता है । जिसको आप सभी जानते ही हैं ।
 
इन अघोरीयों को प्रसन्न करके साधक समस्त इछाओं को पुर्ण कर सकता है । लेकिन गुप्त अघोर साधना (Gupt Aghor Sadhana) सिद्ध करना भी बडा कठिन है । जरासी गलती या त्रुटि होने पर साधक की म्रुत्यु भी हो सकती है । इन गुप्त अघोर साधना (Gupt Aghor Sadhana) की साधना दोधारी तलबार पर चलने के समान ही है तथा लोहे के चने चबाना और ये साधना (Gupt Aghor Sadhana) करना दोनों ही एक समान है । कयोंकि ये अघोरी की शक्तियां उग्र और बिनाशकारी भी कहा गया है । इनके क्रोध आने पर मनुष्य तो क्या देबताओं को भी पल भर में भस्मीभूत कर देते है अर्थात उनके बिरोध में या अनके मार्ग में आने बालों को जला कर भस्म कर सकते हैं । इनकी साधना करने से पूर्ब (पहले) किसी अघोर तंत्र के साधक एबं महात्मा से दीख्या-शिख्या प्राप्त करना अनिबार्य है अन्यथा प्राणों से हाथ धोना पड सकता है ।
 
ये केबल ही केबल जानकारी हेतु दे रहा हुं। यह प्राचीन बिदया है। इसको आज के युग में करना सम्भब नहीं है। कयोंकि एसे गुरु भी मिलना मुशिकल है। यह बिदया अघोरीयों की हैं। आम साधक अर्थात सामान्य ब साधरण साधक नहीं करे। यह साधना घर-परिबार एबं समाज में रहने बालों के लिये नहीं हैं। बल्कि जिन साधकों ने शैब तंत्र ब अघोर मार्ग की दीख्या ली हो एबं घर-परिबार छोडकर जंगलों में तथा पुप्त स्थानों में तपस्या किया करते हैं उनके लिये कही जाती है अर्थात उन्हिं के लिये उपयोगी होती हैं बह साधक अपनी रख्या एबं कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को करबाने के लिये श्मशान ब भूत-प्रेत आदि की साधनाएं करके अपना काम पुर्ण करते हैं। हमारे जैसे साधरण लोगों के लिये ये साधना नहीं है तथा ये हानि कारक हैं। इसकी क्रिया बिधि पुर्न रुप से तांत्रिक एबं अघोर मार्ग की हैं तथा शैब मार्ग का प्रयोग है ।
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