मातंगी यंत्र साधना कैसे करें ?

Matangi Yantra : इस यंत्र को बेल बृक्ष के नीचे बैठकर लिखे । प्रथम मातंगी के मूल मंत्र का पाठ करें तथा साथ साथ हबन भी करें । इस प्रकार नित्य जाप और हबन करके १०००० जाप पूरा करें । हबन में आम की लकड़ी , बेल की लकड़ी , शमी बृक्ष की लकड़ी रखें । सामग्री – घृत तथा लाल फूल से हबन करें । जाप समाप्त हो जाने पर अंतिम दिन हबन समाप्त करके बहीं बैठे –बैठे यह यंत्र लिखें । यंत्र भोजपत्र के ऊपर चमेली की कलम से तथा केसर के रंग से लिखे ।

Matangi Yantra ke Labh :

मातंगी यंत्र मंत्र : ओं ह्रीं क्लीं हुं मातंगीये फट स्वाहा ।

इस matangi yantra को भुजा पर धारण करें या गले में पहने तथा तांबे की तख्ती पर खुदबाकर घर में दीबार पर लगायें और नित्य पूजा करें । किसी भी रोग में यह यंत्र धारण करे तो अबश्य ठीक होगा । इस यंत्र को धारण करने बाले पर कृत्या, जादू, टोना ,सर्बथा निष्फल होता है । जहाँ अर्थात जिस घर मं यह यंत्र लगा होगा बहाँ भुत – प्रेत, यक्ष, यक्षिणी, दुराचारी पुरुष का प्रबेश नही होगा । बलात घुसने बाले का सिर फट – फट जायेगा । परीक्षा कर देखें । सर्बप्रथम इसकी पूजा बिष्णु भगबान ने की थी । तत्पश्चात महामुनि मातंग ने इसकी आराधना की जिसके फलस्वरुप देबी ने मुनि मातंग के यंहा उसकी कन्या के रूप में अबतार लिया ।

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