Sehi ya Shahi : तंत्र में सेई का अपना अलग स्थान है । यह एक बन्यप्राणी है इसके पुरे शरीर में तेज नुकीले धारदार लम्बे – लम्बे काँटे होते है शायद इन्ही काँटो के द्वारा यह अपनी जीबन रक्षा कर लेती है । सेई के तांत्रिक प्रयोग इस प्रकार है ….
Sehi ka Tantrik Prayog :
१. शत्रु को पीड़ा पहुँचाने के लिए : केबल सेई (sehi) के काँटे को शत्रु के घर की दीबार पर ठोक देने से ही शत्रु के घर में आंतरिक कलह होने लगती है । यह प्रयोग कभी भी कर सकते हैं ।
२. आकर्षण प्रयोग : आकर्षण तंत्र , सम्मोहन तंत्र, बशीकरण तंत्र के लिए सेई (sehi) के काँटे को आग में जलाकर भस्म तैयार करें । फिर इस भस्म में छुई – मुई , निर्गुण्डी, गुलमोहर के पतों को पीसकर रस निकाल कर मिलाएँ। उसमें ज़रा – सा गोरोचन भी मिलाएँ । अब इसे अपने कपडे या माथे पर लगा लें , उपरोक्त लाभ अबश्य होगा । इस बने बनाए भस्म से यदि सेई के काँटे के द्वारा एक ब्यापार बृद्धि यंत्र बना लिया जाए तो ब्यापारी के ब्यापार में कारगर साबित होगा । यह यंत्र किसी अच्छे मोटे कागज़ पर या बड के पत्ते पर भी बना सकते हैं ; बड का पता उत्तम होगा । इस यंत्र का निर्माण कभी किसी भी समय पर कर सकते है । जब यंत्र बना लिया जाए तब इसे पीले रंग के कपडे में या फिर कांसे की थाली में रखकर उसके सामने घी का दीपक जलाकर कपूर की धुनी देकर अपनी मनोकामना मन ही मन प्रार्थना कर इस यंत्र को अपने गल्ले में रख लें । इस यंत्र में ऎसी बिकिरण शक्ति है की ब्यापारी के गिरते हुए ब्यापार को ऊँचा उठाकर समृद्धशाली बनाने की और अग्रसर करता है ।
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