भाषा और शब्द ज्ञान

Shabd Gyaan : शव्द ज्ञान के यह लेख में आप सबके लिये कुछ बिशेष ज्ञान लेकर आए हैं , जिससे आप शव्द ज्ञान को जानकार और उसको अपना जीबन में उतार ने से आप स्वयं जानबारो के बात को समझने लगोगे । यह चलिए यह अद्भूत लेख को आगे बढाते है आगे बढ़ते हैं । तांत्रिक लोग पशु पक्षि कीडे मकोडे सब जानबारो की आबाज समझते है । कीस तदबीरसे बह लोग यह ताकत अजीब ताकत को हासिल करने से सिद्ध होना चाहिये । सिद्ध होने की तदबीर यह है ।

 
पहले पहल कार्तिक या फालगुनके महीने मे तीज तितीकी महा अंधेरी रातको अकेले बेखोफ चितापर सुद्ध आसन से बैठकर चर्चिका देवी का ध्यान करे । चर्चिका देवी का स्वरुप यह है शुक्ल कण्ठा, भयंकर श्ब्द करनेबाली, भयंकर नेत्रबाली, युवती, दी भुजा, ताडके पेडकी समान जांघ बाली, बाल खोले हुए । ध्यान का मंत्र यह है ।
Shabd Gyaan Dhyan Mantra :
“ओम ह्रीं चर्चि चर्चिके क्रुकलासक बोधय बोधय स्वाहा “ इस मंत्रका जप हजार बार करनेसे सिद्धि होती है ।
 
मुषिका- (चुहा) “ श्रीं श्रीं मुष्यै स्वाहा ” यह शब्द ज्ञान मंत्र रात के आखिरी हिसे मे हजार बार जपने से चुहो का श्ब्द समझने आने लगता है ।
 
बिल्ली – पुष या साबन के महीने मे जितेंद्रिय साधक खीर खाकर धूप दीप नैवेद्य लाल चन्दन, लाल फूल बगैरह सामान से अति यत्न्के साथ बिकट आंखोबाली बख्तर पहरे भयंकर बिल्ली पर सबार हुइ कंक्टा देवी का ध्यान करे ।
मंत्र : “ऑम ह्रीं कंन्डकलाये स्वाहा”
 
रात के समय एक सप्ताह तक मसान मे बैठकर यह मंत्र जप करे । कुल तीस हजार मंत्र जप करे । तब बिल्ली की बोली समझ मे आ जाया करेगी ।
 
बकरा या बकरी- उपर कहे हुए शब्द ज्ञान मंत्र के नियम से सहर्स बार जप करे । और बकरी के दूध मे स्रेष्ठ अर्न पकाकर खाय, बकरी के श्ब्द का ज्ञान हो जायेगा ।
खरगोश – खीर खायकर उपर कहा हुआ मंत्र छ: हजार बार जप करे, खर्गोश के श्ब्द का ज्ञान हो जायेगा ।
 
बनबिलाब – पहले कहे हुए बिधान से सारे दिन पहला कहा हुआ मंत्र जपने से बनबिलाब का श्ब्द समझ मे आजायगा ।
 
बानर – ऋतुमूल बेल छुकर उपर कहा हुआ मंत्र दश हजार बार जपने से बंदर के श्ब्द का ज्ञान हो जायगा ।
 
रीछ – “बिपुला, भीषण्ब्द्ना, आलुलायितकेशा, न्डींग योबनजात, पनिपयोधरा, कमलनेत्रा, हास्यबद्ना, खड्ग, खट्बांग, कमल और असिधारिणी । इस प्रकार देवी का ध्यान कर । खीर खाकर रातके समय देवीका नीचे लिखा हुआ मंत्र जप करे और षोड्शोपचार से देवी की पुजा करे ।
मंत्र: “ओम ह्रीं श्रीं श्रीं बिशालायै स्वाहा । ”
यह मंत्र सिद्ध होने पर रीछ के श्ब्दका ज्ञान हो जायगा ।
 
व्याघ्र – उपर कहे हुए बिधान से साधक मसान मे बैठकर उपरोक्त मंत्रका जप एक लाख बार जाप करेगा तो निश्चय हि व्याघ्रका स्वर समझ मे आ जायेगा ।
 
हाथि – मनही मन हथी की याद करके आचारनिष्ठ पुरुष अगर पहले कहे हुए मंत्र को बिधि बिधान से दश हजार एक सो (10100) बार जपकर दशांश होम करे तो हाथी का श्ब्द समझने की ताकत हो जायगी ।
 
सिन्ह – जो पुरुष पहले कहे हुए बिधान से रजस्वला के घर बैठकर उपर कहा हुआ मंत्र लाख बार जपै और बलि देकर काली की पुजा करे और ऋतुयुक्त कामिनी की लाल फुलो से पुजा कर दस हजार बार जप करे, उसको सिन्हके श्ब्द का ज्ञान (shabd gyaan) हो जायेगा ।
 
सुअर – नीचे लिखा हुआ मंत्र 70000 बार जप करने से सुअर का श्ब्द समझ मे आ जाता है ।
मंत्र- “ओम घुरु घुरु ध्रुत ध्रुत स्वाहा”
 
गीदड – अमाबस्या के दिन एक ही चोट मे एक गीदड को मारकर पृथ्वी पर कुश के बिछोने पर रखे और उसके उपर बैठकर देवी का ध्यान करे ।
 
देवीका स्वरुप – चतुर्भुजा, बिशालबद्ना, नग्ना, उन्नत स्तना, तपाये हुए सुबर्ण की समान रंगबाली, पद्म, संख, गदा और खडग्धारिणी आलुलायितकेशा इस प्रकार से ध्यान करे ।
मंत्र : “ओम क्रीं ह्रीं क्रीं स्वाहा ओम”
यह मंत्र आधि रात के समय एक लाख बार जपे । इस प्रकार करने से गीदड का श्ब्द समझ मे आ जायगा ।
 
गाय के मुत्र मे जौ पकाकर रखे । उस दिन से आरम्भ करके तीन दिन तक सुखा पहरकर “लं लं” shabd gyaan मंत्र लाख बार जपै और इस प्रकार ध्यान करै ।
 
देवीका स्वरुप – नीलबर्णा, मनोरमकेशा, दिभुजा, सर्ब गहनोसे भुसित, अनेक लक्षणबान ।
देवी का ध्यान करके षोडशोपचारसे पुजा करे ! जप करके सिद्धि होने पर गाय के श्ब्द का ज्ञान (shabd gyaan) हो जाता है ।
 
काग – माथे पर काग की पुछ धारण कर के “क्रीं का का” यह शब्द ज्ञान (shabd gyaan) मंत्र चिता मे बैठकर छ: हजार बार जप करे । इस साधना मे पुजा और होम की जरुरत नही है । आधी रात के समय केबल जप करे । इस प्रकार सिद्ध होने पर सब प्रकार के कागो का श्ब्द समझ मे आ जायगा ।
 
चटका – नीचे लिखा shabd gyaan मंत्र 7000 जप करने पर काली की पुजा के साथ चटकाके श्ब्द का ज्ञान हो जाता है ।
मंत्र : “स्फ्रे चाटु चाटु”
 
तोता – नीचे लिखा हुआ shabd gyaan मंत्र दश हजार जप करने से तोते के श्ब्द का ज्ञान हो सक्ता है ।
मंत्र : “ह्रीं शुक शुक बोधय बोधय स्वाहा”
 
कबुतर – नीचे लिखा हुआ shabd gyaan मंत्र दश हजार जपने और शाल के पेड की जड मे बैठकर कालिका की पुजा करने से कबुतर कि बोली भली भांति समझमे आजायगी ।

मंत्र : “स्फ्रे हुं हुं स्वाहा”

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जय माँ कामाख्या

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