आज के युग में आजीविका बहुत ही महत्वपूर्ण है । भारतीय वैदिक दर्शन शास्त्रों में विषम परिस्थितियों में लाभ पाने के लिये टोने-टोटके या धार्मिक अनुष्ठानों का सहारा भी लिया जाता है, इनके माध्यम से ओवर ड्राफ्टिंग के माध्यम से संचित में से कुछ बेहतर प्रारब्ध पाने की चेष्टा करते है ।
इसके अनेकों उदाहरण मिलते हैं जैसे कि वर्ष में मुख्य दो बार आने वाले नवरात्रों के पर्व में श्री मार्कण्डेय ऋषि द्वारा रचित श्री दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोकों का संग्रह है और उसी में “वृत्ति” को भी देवी मानकर नमस्कार किया गया है ।
इस सप्तशती में प्रथम चरित्र अध्याय-1 की देवी महाकाली जी है ।
मध्य चरित्र अध्याय दो से चार तक की देवी महालक्ष्मी जी है और उत्तम चरित्र अध्याय 5 से 13 तक की देवी महा सरस्वती जी है । अर्थात ज्ञान की देवी सरस्वती के अध्याय ज्यादा है सूचित करते है कि बुद्धि के द्वारा लक्ष्मी को प्राप्त किया जा सकता है और संसार की तामसिक प्रवृत्तियों से सुरक्षा की जा सकती है ।
तभी अध्याय 5 जहां सरस्वती जी आरम्भ होती है अर्थात पंचम अध्याय के श्लोक संख्या 59 से 61 तक में कहा गया है ।
“या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:॥”
अर्थात जो देवी सब प्राणियों में वृत्तिरूप से स्थित है । उनको नमस्कार, उनको वारंबार नमस्कार ।
वृत्ति को देवी रूप में मानकर श्रद्धापूर्वक प्रणाम किया गया है अर्थात वृत्ति जीवन में अति महत्वपूर्ण चीज है ।
इसी प्रकार इसी पुस्तक में धन की कामना पूर्ति हेतु एक विशेष सूत्र ( Shree Vriddhi Sadhana ) दिया गया है, वह इस प्रकार से है-
“भौमवास्यानिशमग्ने चन्द्रे शतभिषां गते।
विलिख्य प्रपठते् स्त्रोतं स भवेत् सम्पदां पद्म॥”
अर्थात मंगलवार की अमावस्या की आधी रात में जब चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हों । उस समय इस श्रीवृद्धि साधना (Shree Vriddhi Sadhana) स्त्रोत को लिखकर जो इसका पाठ करता है वह संपत्तिशाली होता है।
इस श्रीवृद्धि साधना (Shree Vriddhi Sadhana) श्लोक में मुहूर्त विज्ञान के माध्यम से ज्योतिष की ही गणना है कि जब मंगलवार को ही अमावस्या हो और शतभिषा नक्षत्र में अर्थात राहु के उस नक्षत्र में जहां सौ तारों की बात में कुंभ राशि में हो ।
इसी प्रकार सूर्य दीपावली पर्व पर तुला राशि में होता है उस दिन आत्मा और मन के कारक सूर्य, चंद्रमा इकट्ठे होते हैं तो स्थिर लग्न में श्रीवृद्धि के लिए श्रीवृद्धि साधना (Shree Vriddhi sadhana) पूजन किया जाता है ।
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जय माँ कामाख्या