प्रयोग-1
Shri Kuber Mantra ” अ ऊँ नमो कुबेराय वैश्रवणाय अक्षय। समृद्धि देहि कनक धारायै नम:।।”
Shri Kuber Mantra Prayog Vidhi :
दीपावली की रात्रि से पूर्व त्रयोदशी तिथि से सात हजार रोज मंत्र जाप दीपावली तक (21 हजार जाप स्वर्ण मिश्रित रुद्राक्ष माला से धूप दीप अगरबत्ती जला कर श्रद्धा भाव से करें ।
सिद्ध कुबेर यंत्र को थाली में चावल के ऊपर प्रतिष्ठित कर रखें । रोली, केसर, फल-फूल से पूजा करें । चावल सफेद पोटली में बांधकर तिजोरी में रखें यंत्र भी तिजोरी में रखें ।
श्रीकुबेर मंत्र लाभ- गोल्ड रत्न ज्वैलरी के काम करने वालों के लिये यह साधना वरदान है । गया धन वापिस आता है । भूमि विवाद दूर होते है । अखण्ड धन लक्ष्मी, राज्य कृपा प्रमोशन की प्राप्ति होती है ।
प्रयोग-2
श्रीकुबेर मंत्र : ” ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:।।”
मनुष्यों, यक्षों गंधर्वों तथा राक्षसों के लिये तथा देवों के लिये भी कुबेर पूजनीय है । कुबेर के पिता विश्रवा तथा माता इडविडा हैं । इनकी सौतेली माता का नाम कैकसी था ।
कुबेर की पत्नी का नाम श्रद्धा तथा दोनों पुत्रों के नाम ‘नल कुबेर’ व ‘नील ग्रीव’ है । कैलाश पर्वत पर स्थित अलकापुरी इनकी राजधानी है । परंतु सर्वप्रथम इनका मूल निवास त्रिकूट पर्वत स्थित विश्वकर्मा द्वारा निर्मित स्वर्ण नगरी लंका थी ।
जैसे देवताओं के राजा इंद्र हैं।– गुरु बृहस्पति है । इसी प्रकार निखिल ब्राह्मांडों के धनाधिपति धनाध्यक्ष कुबेर है । महाभारत में कहा गया है कि महाराज कुबेर के साथ भार्गव-शुक्र तथा धनिष्ठा नक्षत्र भी दिखाई पड़ते हैं । इन तीनों की कृपा के बिना धन-वैभव की प्राप्ति नहीं होती है ।
प्रयोग-3
यदि कोई व्यक्ति पिछली सात पीढ़ियों से धनाभाव दरिद्रता व अपयश से पीड़ित है तो निम्न मंत्र प्रयोग से जन्मों की दरिद्रता दूर होती है । घर में अपार धन, ऐश्वर्य, संपदा, भवन, आभूषण, रत्न, वाहन, भूखंड व प्रतिष्ठा की प्राप्ति निश्चित होती है ।
भगवान शंकर की पूजा करने के बाद रावण को शूल पाणि शिव ने इस मंत्र का ज्ञान कराया था । इस मंत्र की 11 माला जाप 11 दिन तक नियम से करें । जाप के बाद हवन, तर्पण, मार्जन तथा ब्राह्मण भोजन आवश्यक होता है ।
धूप-दीप जलाकर, फल-फूल व मिष्ठान से भोग लगाकर, श्री कुबेर यंत्र पर चंदन (लाल) कुंकुम का तिलक लगाकर निम्न मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए । एक माला ऊँ गं गमपत्यै नम: का जाप करें ।
विनियोग –
ऊँ अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषि:, बृहती छन्द: शिवसखा धनाध्यक्ष देवता, अखंड धनलाभ प्राप्यर्थे जपे विनियोग:
Shri Kuber Mantra Dhyan :
मनुजवाह्म विमानवर स्थितं
गरुडरत्न निभं निधिनायकम्।
शिवसखं मुकुटादि विभूषितं
वरगदे दधतं भज तुन्दिलनम्।।
Shri Kuber Mantra Prathna :
देवि प्रियश्च नाथस्य कोषाध्यक्ष महामते।
ध्यायेSहं प्रभुं श्रेष्ठं कुबेर धनदायकम्।।
क्षमस्व मम दौरात्म्यं कृपासिंधो सुर:प्रिय:।
धनदोSसि धनंदेहि अपराधांश्च नाशय।।
महाराज कुबेर त्वं भूयो भूयो नमाम्यहम्।
दीनोपि चदया यस्त जायतुं वै महाधन:।।
Siddh Shri Kuber Mantra :
मंत्र : “ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्य अधिपतये धनधान्य समृद्धिं में देहि दापय स्वाहा ।।”
विषेश-
यह मंत्र शिवजी के मंदिर में या बेलपत्र के पेड़ के नीचे बैठकर जपने से सिद्धि शीघ्र मिलती है । एक लाख जप करने से इसका पुरश्चरण होता है । दशांश हवन तिल व देसी घी से होता है ।
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जय माँ कामाख्या