Shwet Gunja ke Fyda :
१. अनिद्रानाशक प्रयोग : अगर किसी को रात में नींद नही आती हो तो श्वेत गूंजा की जड़ सिरहाने पर रखकर सोने से अच्छी नींद आती है । यह shwet gunja का एक सफल प्रयोग है ।
२. सम्मोहन : सम्मोहन के लिए shwet gunja की जड़ को पीसकर , पर्ण बीज, पत्थलचूर के साथ मिलाकर श्वेत अपराजिता का रस मिलाकर कपडे में या फिर माथे में इसका टीका लगाकर शक्तिचक्र पर प्रयोग किया जाए तो आशातीत सफलता मिलती है ।
३. दिब्य आसुरी शक्ति से साक्षात्कार : यह shwet gunja प्रयोग पूर्णत: प्रमाणिक है, कोई भी इस प्रयोग को करके दिव्य आसुरी शक्ति से साक्षात्कार कर सकता है । अन्धबिश्वास मानने बालों के लिए चुनौती है । Shwet Gunja की जड़ को माथे पर कर यदि नियमित त्राटक, बिंदु त्राटक, मूर्ति त्राटक किया जाए तो साधक को मात्र ४५ दिन में आसुरी शक्तियों से साक्षात्कार होता है । यह मेरा सफल और सिद्ध प्रयोग है ।
४. नवग्रहों की पीड़ा को शांत रखने के लिए : नवग्रहों के प्रकोप से बचने के लिए तंत्र और ज्योतिष में कई उपाय बताए गए हैं जो की आप ब्यक्ति के लिए साध्य नहीं हैं । ये अधिक धन ब्यय करने के साथ कष्टप्रद भी हैं । जैसे कि रत्न ब रुद्राक्ष धारण करना, नबग्रह शान्ति अनुष्ठान यह सब आज ब्यापार बन गया है । मैंने एक सरल बिधि की खोज की है इसे अपना लेने पर उपरोक्त लाभ तो मिलेगा साथ ही अधिक खर्च से भी बाख सकते हैं ।
आबश्यक सामग्री : नागपुष्पी की जड़ , गोरोचन, श्वेत गूंजा (shwet gunja) की जड़, घोड़े की पूरी नाल, कुम्हार के चाक की मिट्टी ।
बिधि : सर्बप्रथम साधक को चाहिए कि किसी भी शनिबार को उपरोक्त सभी सामग्री प्राप्त कर लें । फिर सभी सामग्री को काले कपडे पर सामने बिछाकर रखें । साधक शुद्ध बस्त्र धारण करके, काले आसन पर बैठकर मयूर के पंख को हाथ में रखकर और दुसरे हाथ में तिल, ज्वार, सरसों रखकर निम्नलिखित मंत्र का मात्र ग्यारह बार जप कर तिल, ज्वार, सरसों को उन सामग्री पर डाल दें । फिर घोडे की नाल को अपने घर के द्वार से ऐसे ठोकें की नाल का खुला बाला हिस्सा ऊपर की और रहे । अब बाकी सामग्री को काले कपडे में ही लपेटकर घर में सुरक्षित रख दें । ऐसा कर लेने पर अबश्य ही लाभ दिखाई देता है । सरल सा लगने बाला प्रयोग अपने अन्दर कितनी दिव्यता समेटे हुए है बह तो साधक को कुछ ही दिन में पता लग सकता है ।
मंत्र :
ओउम हीं घृणि आदित्यं श्रीं ।
ओउम श्रां श्रीं श्रुं श्रीं स: चन्द्राय नम: ।
ओउम क्रां क्रीं क्रुं स: भौमाय नम: ।
ओउम ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ।
ओउम बृ बृहस्पतये नम: ।
ओउम द्रां द्रौं द्रां शुक्राय नम: ।
ओउम प्रां प्रौं प्रां स: शनैश्चराय नम: ।
नोट : कुम्हार चाक की मिट्टी को हमेशा अपनी जेब में रखने से भी अच्छा लाभ मिलता है । इसे ताबीज में गोरोचन के साथ भरकर भी धारण कर सकते हैं ।
५. टोना -टोटका होने पर : Shwet gunja की जड़ को पीड़ित ब्यक्ति के सामने आग में जलाकर धुँआ देने से टोने -टोटका में लाभ मिलता है ।
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