बास्तु ज्योतिष में बिभिन्न रंग

Vastu Jyotish Mein Vibhinn Rang :

Vastu Jyotish : अपने दुर्भाग्य को दूर करने के लिए शकुन, अन्धबिश्वास आदि जैसी बातों से अलग अनेक गुह्य बिद्याओं का सहारा लेना मनुष्य की प्रबृति है । इसके लिए उत्तर भारत के प्राचीन ग्रन्थो समरांगण सूत्रधार, बिश्वकर्मा बास्तुशास्त्र तथा दक्षिण भारत के ग्रन्थ मानसार आदि के अनुसार एक बिद्या “बास्तु ज्योतिष (vastu jyotish)” का पादुर्भाब हुआ । ज्योतिष के नियमों से अलग इनमे भबन निर्माण के लिए भूमि, मिट्टी परीक्षण, मुख्य द्वार की स्थापन आदि के लिए बास्तु ज्योतिष (vastu jyotish) नियम का पालन करने पर बल दिया गया है ।

सूर्य में सात रंग है । परन्तु वास्तब में तथा कुछेक बास्तु शास्त्री भी छह रंगों के अस्तित्व को मानते हैं – श्वेत, लाल, पीला, हरा, नीला तथा काला । बस्तुत: सात रंग अथबा नौ रंग इन छह रोंगों के मेल – मिलाप का ही परिणाम हैं । सुनकर आश्चर्य होगा की रंगों के मेल –मिलाप से दस लाख रंग बनाए जा सकता है ।

परन्तु इनमें से हम केबल तीन सौ अठहतर रंग ही देख पाते हैं । अपने दैनिक जीबन में नबरस तथा नबरंगों का अनोखा संबंध हम देखते हैं । बिडम्बना यही है कि रंगों के इन सयोंग का अपने जीबन में हम ठीक ठीक ताल- मेल नहीं बैठा पाते । इसीलिए दुर्भाग्य को निमंत्रण देते हैं । कभी अनुभब करें बिभिन्न रस यदि अपने अनुरूप रंग के साथ है तो आप कितना सुखद अनुभब करते हैं –

रंगों में तथा रंगों से लयबद्धता बनाकर बास्तुजनित दोषों को दूर करना ही योग्य बास्तुबिद की पहचान है । रस के समान बिभिन्न दिशा –बिदिशा में भी रंगों का आधिपत्य है तदनुसार योगदान और प्रभाब है । घर में पुताई अथबा डिस्टेम्पर दिशा अनुशार करबाने से बास्तु के अनुरूप सुप्रभाब मिलते हैं —

भबन के पूरब का भाग सफ़ेद रंग का रखे ।
भबन के पशिचम का भाग नीले रंग का रखे ।
भबन का उत्तर का भाग हरे रंग का रखे ।
भबन का दक्षिण का भाग लाल, गुलाबी रहे ।
भबन का दक्षिण – पूरब के भाग मटमैला करबाए ।
भबन के दक्षिण – पश्चिम के भाग हरा रंग रखें ।
भबन के उत्तर – पूरब के भाग का पीला रंग कराएँ तथा
भबन के उत्तर – पश्चिम के भाग सफ़ेद रंग रखे ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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