बेद शास्त्र में तंत्र का महत्व

आर्य लोग बेद को ईश्वरचित मानते है जो ईश्वर की बाणी है या ईश्वर की प्रेरणा से ऋषियों के मुख से उदित हुए हैं ।
बेदों की चार संहिताएं है :-
1. ऋग्बेद
2. यजुर्बेद
3. सामबेद
4. अथर्बबेद
इनमें चौथा जो अथर्बबेद है – उसी का अपबेद “तंत्र” है । इस प्रकार तंत्र भी बेद का ही रुप है । अनेक अनुसन्धानकर्ताओं और बिद्वानों ने तंत्र को बेदों से ही माना है । इसे बेदों का अंग ही माना है ।
 
कुछ गैर-जिम्मेदार लोगो द्वारा तंत्र के अर्थों को न समझकर उनका रुप बदल दिया गया और ऐसा रूप दे दिया और बेदों के बिरुद्ध मान लिया । इस प्रकार तंत्र का रूप बदल गया। तंत्र को बेदो से अलग करके देखा गया । बाद मे तो लोगों ने अपने तंत्र ग्रंथो को ही बेदो के बिरुद्ध रच डाला । “योगिनी तंत्र” के ग्रन्थकार ने यंहा तक लिख डाला –
“निर्बीया: श्रोत जातीया बिषहीनोरगा इब।
सत्यादौ सफला आसन कलौ ते मृतका इब।।
पाचालिका यथा भितौ सर्बोन्द्रिय-समन्बिता: ।
अमूर श्कता: कार्येषु तथान्ये मंत्रराश्य: ।।”
 
अर्थात, बेद शास्त्र (veda shastra) के मंत्र बिषहीन सांपों के समान निर्बीर्य हो गए हैं । बे सतयुग, त्रेता और द्धापर में सफल थे किन्तु अब कलियुग में मृतक की तरह हैं । जिस तरह दीबार में बनी सब इन्द्रियों से युक्त मूर्तियों की आंखों की पुतलियां अशकत हैं, कार्य नहीं कर सकती, उसी तरह तंत्र के अतिरिक्त अन्य मंत्र समुदाय भी अशक्त हैं ।
 
अनेक बिद्वानों ने तंत्र पर अंन्वेषण और अनुसन्धान भी किए हैं । उनकी खोजों का परिणाम यह है कि तंत्र बेद शास्त्र (veda shastra) से भी प्राचीन हैं । क्योंकि बीजमंत्र “ओम” का ही सर्बप्रथम प्रकटीकारण हुआ है । इस ॐ कार मंत्र से ही आगे चलकर समस्त बेद-बाड्मय बिकसित हुआ है । यह ॐ तंत्र का ही एक तत्व माना जाता है ।
 
हमारे आर्य धर्म मे संसार के अन्य धर्मो के मानने बाले ब्यक्तियों के भी जीबन मे तंत्र का महत्व स्वयं सिद्ध होता है ।
 
बैदिक धर्म से ही देखिए, हम जो हबन या यज्ञ, पूजा, साधना आदि करते हैं, यह सब क्या हैं?
 
एक प्रकार से यह बेद शास्त्र (veda shastra) का तंत्र अंग हैं । बेद को भारतीय संस्कृति का आदि स्तोत्र माना गया है । मनुष्य की सभी प्रकार की समस्याओं का उचित समाधान बेदों में हैं ।
 
जैसे पारिबारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय समस्याएं है, ब्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, आत्मिक, बौद्धिक सभी प्रकार की जटिल से जटिल समस्याओं का निदान बेद शास्त्र (Veda Shastra) में है ।
 
तंत्र में भी मानब की इन समस्याओं का निदान सरल रूप में है । अथर्बबेद में कुछ चमत्कारिक प्रयोग है जैसे – रोग नाश, आयु-बृद्धि, पैतृक बिकार नाश, सर्पबिष ,केश बृद्धि, शान्ति, गर्भधारण ब रख्या,काम नियंन्त्रण,मृत्यु से रख्या, शत्रु भय से रख्या, बशिकरण आदि ।
 
ये सब मंत्र और तंत्र के सिबा और कोई साधना नहीं हैं । मंत्रों, तंत्रों और औषधियों से ही ये सब समस्याएं निपटायी गई हैं । अत: यह नि:संकोच कहा जा सकता है कि तंत्र और मंत्र बेद शास्त्र (veda shastra) से ही चले हैं ।

हर समस्या का स्थायी और 100% समाधान के लिए संपर्क करे (मो.) 9438741641 {Call / Whatsapp}

जय माँ कामाख्या

For any type of astrological consultation with Acharya Pradip Kumar, please contact +91-9438741641. Whether it is about personalized horoscope readings, career guidance, relationship issues, health concerns, or any other astrological queries, expert help is just a call away.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment