सप्त महाशक्ति साधना
सप्त महाशक्ति साधना की शुरुआत कैसे करें ?
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श्री दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र प्रयोग :
श्री दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र प्रयोग कैसे करें :
September 4, 2023
तंत्रोक्त अर्गला स्तोत्र प्रयोग :

तंत्रोक्त अर्गला स्तोत्र का प्रयोग कैसे करें :

अर्गला स्तोत्र प्रयोग में कुल चौबीस श्लोक मंत्र है । अर्गला स्तोत्र प्रयोग में से प्रत्येक स्व्यं में पूर्ण ब प्रभाबशाली है । इसके एक एक श्लोक मंत्र का पाठ जप करके मनुष्य अपनी बिभिन्न कामनाओं की सिद्धि कर सकता है । नीचे प्रत्येक श्लोक मंत्र के पाठ जप से सिद्ध होने बाले कार्यों का क्रमानुसार उल्लेख किया जा रहा है ।

तंत्रोक्त अर्गला स्तोत्र प्रयोग

१. ॐ जयन्ती…………………………….नमोस्तुते ।।
इस अर्गला स्तोत्र प्रयोग मंत्र का प्रतिदिन एक सौ आठ बार पाठ जप करने से देबता के कोप से मुक्ति तथा पितृ दोष का शमन होता है ।

२. ॐ जय त्वं …………………………………नमोस्तुते ।।
प्रतिदिन एक अर्गला स्तोत्र प्रयोग मंत्र का सौ आठ बार पाठ जप करने से आपदाओं का प्रभाब क्षीण होता है ।

३. ॐ मधु कैटभ………………………………द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन तीनों संध्याओं में एक सौ आठ बार पाठ जप ग्यारह दिनों तक करने से नबजात शिशु की बीमारियों का शमन होता है । पाठ के साथ ही चिकित्सा भी चलती रहनी चाहिए ।

४. ॐ महिषासुर…………………………द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन अर्गला स्तोत्र प्रयोग मंत्र का एक सौ आठ बार पाठ जप करने से क्रोध का नाश होकर बिबेक की जागृति होती है तथा भगबती की कृपा से भक्ति की भी प्राप्ति होती है ।

५. ॐ रक्तबीज ………………………द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन एक सौ आठ बार पाठ करने से अहंकार का नाश होकर मुख पर दिब्य ओज की प्राप्ति होती है ।

६. ॐ शुम्भस्यैब…………………….द्विषो जहि ।।
एक सौ आठ पाठ जप प्रतिदिन करने से शारीरिक ब मानसिक बिकार नष्ट होते हैं ।

७. ॐ बन्दिता………………………द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन एक सौ आठ पाठ जप करने से दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।

८. ॐ अचिन्त्य ……………….द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन एक सौ आठ पाठ जप करने से षडरिपुओं (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद तथा मत्सर) का नाश होकर निर्मल हुए चित्त में माँ के प्रति प्रेममयी भक्ति का उदय होता है ।

९. ॐ नतेभ्य: ………………द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन एक सौ आठ पाठ जप करने से पापों का क्षय होने से सत्कर्मों के प्रति रूचि होती है, फल स्वरूप जीबन में सुख –शान्ति की प्राप्ति होती है ।

१०. ॐ स्तुबद्भयो ………………. द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन एक सौ आठ पाठ जप करने से आध्यात्मिक मार्ग में आने बाली बाधाएं दूर होती हैं तथा आगे बढ़ने का मार्ग उद्घाटित होता जाता है ।

११. ॐ चण्डिके …………………..द्विषो जहि ।।
एक सौ आठ पाठ जप करने से माँ के चरणों में प्रीति –भक्ति प्राप्त होती है ।

१२. ॐ देहि सौभाग्यं ……………………..द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन तीनों संध्याओं में एक सौ आठ पाठ जप करने से सौभाग्य, आरोग्य तथा अन्तर्ब़ाह्य दोनों स्थितियों में स्थिर शांति की प्राप्ति होती है ।

१३. ॐ बिधेहि ………………….द्विषो जहि ।।
शत्रु (द्वेषी ब्यक्ति) का मन में ध्यान करते हुए प्रतिदिन तीनों संध्याओं में एक सौ आठ पाठ जप के क्रम चालीस दिनों तक जप करने से बह (द्वेष करने बाला ब्यक्ति) अपने द्वेष भाब का परित्याग कर जप कर्ता के अनुकूल हो जाता है ।

१४. ॐ बिदेही देबि …………….. द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन एक सौ आठ पाठ जप करने से माँ दुर्गा की कृपा से मनुष्य का कल्याण होता है तथा स्थिर सम्पति की प्राप्ति होती हैं ।

१५. ॐ सुरासुर …………………….द्विषो जहि ।।
एक सौ आठ पाठ जप प्रतिदिन करने से माँ दुर्गा की शरणगति प्राप्त होती हैं ।

१६. ॐ बिद्यावन्त ………………द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन (सम्भब हो तो त्रिकाल संध्याओं में) एक सौ आठ पाठ जप करने से बिद्या (शास्त्रों का ज्ञान लौकिक ज्ञान), स्थिर सम्पदा तथा यश की प्राप्ति होती है ।

१७. ॐ प्रचण्ड दैत्य ……………….द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन पूर्बबत् एक सौ आठ पाठ जप करने से अहंकार का बिनाश होकर माँ की शरणागति रूप भक्ति प्राप्त होती हैं ।

१८. ॐ चतुर्भुजे ………………..द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन एक सौ आठ पाठ जप (सम्भब हो तो तीनों संध्याओं में) करने से चतुष्पूरुषार्थे (धर्म- अर्थ –काम –मोक्ष) की प्राप्ति होती है । परन्तु यह तब ही सम्भब है जब पाठ जप कर्ता सांसारिक प्रलोभनों एबं निकृष्ट कामनाओं से मुक्त तथा माँ के चरणों में पूर्ण निष्ठा से समर्पित भाब बाला हो ।

१९. ॐ कृष्णेन ……………… द्विषो जहि ।
प्रतिदिन अर्गला स्तोत्र प्रयोग का एक सौ आठ पाठ जप करने बाले मनुष्य को अनेकों ब्यक्तियों का भरण पोषण करने का सामर्थ प्राप्त हो जाता है ।

२०. ॐ हिमाचल सुता …………………द्विषो जहि ।
प्रतिदिन त्रिकाल संध्याओं अर्गला स्तोत्र प्रयोग में एक –एक माला पाठ जप करने से कुण्डलिनी जागरण साधना का मार्ग संपुष्ट होता है ।

२१. ॐ इन्द्राणी ………………..द्विषो जहि ।
प्रतिदिन तीनों सन्ध्याओं में पुर्बबत् अर्गला स्तोत्र प्रयोग पाठ जप करने तथा एक सौ आठ बिल्व पत्रों पर, लाल चन्दन तथा अनार की लेखनी से “ह्रीं” लिखने से समाज में प्रतिष्ठा, यश तथा सम्पति की प्राप्ति होती है । बिल्व पत्रों को सम्भब हो तो प्रतिदिन अथबा प्रितिदीन उन्हें किसी शुद्ध सुरक्षित स्थान पर संग्रह करके, कुछ दिनों के अंतराल से किसी पबित्र नदी में प्रबाहित कर दिया करें ।

२२. ॐ देबी प्रचण्ड …………….द्विषो जहि ।।
पिसे हुए उड़द की दाल से दीपक बनाकर उसमे सरसों का तेल तथा चार बतियाँ डालकर चतुर्मुख प्रज्वलित करके रखें । प्रतिदिन सायंकाल में शत्रु का मन ही मन ध्यान करते हुए अर्गला स्तोत्र प्रयोग मंत्र का पाँच माला उपर्युक्त मंत्र का पाठ जप करें । इससे शत्रु घमण्ड (अहंकार) रहित होकर जपकर्ता की शरण में आ जाएगा ।

२३. ॐ देबी भक्त …………..द्विषो जहि ।।
प्रतिदिन त्रिकाल सन्ध्याओं में अर्गला स्तोत्र प्रयोग मंत्र का एक सौ आठ पाठ जप करने से जीबन- सुख – शान्ति की प्राप्ति होने लगती है ।

२४. ॐ पत्नीं मनोरमां …………….कुलोद्भबाम् ।।
लाल सिन्दूर (उसमें थोडा जल मिलाकर) से सफ़ेद कागज़ पर अनामिका अंगुली से “क्लीं” लिखें । फिर इस “क्लीं” बर्ण को देखते हुए ध्यान केन्द्रित करके उपर्युक्त मंत्र का ग्यारह माला पाठ जप करें । इस प्रयोग को चालीस दिनों तक लगातार करते रहें । भगबती की कृपा से मनोबाछित सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति होती हैं ।

अर्गला स्तोत्र के इन चौबीस श्लोकों के पृथक –पृथक पाठ जप के द्वारा जिन –जिन प्राप्त होने बाले लाभों (फलों) का बर्णन किया गया है, उन्हें स्थायी रूप से प्राप्त करने के लिए, अपनी कामना के अनुसार फल प्रद श्लोक के द्वारा सम्पुटित सौ पाठ श्री दुर्गा सप्तसती का करना चाहिए । पाठ के पश्चात् दशांश हबन खीर में घृत मिलाकर करना चाहिए ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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