कर्णपिशाचिनी प्रयोग बिधि

1) मंन्त्रमहोदधौ- ओम ह्रीं कर्णपिशाचिनी कर्णे मे कथय स्वाहा। इति षोडशाख्यरो मंत्र: ।
श्मशान ब शब के पास अशुचि होकर साधना करें ।
 
2) मंत्र : ओम ऐं ह्रीं ऐं क्लीं क्लीं ग्लौं ओम नम: कर्णाग्रौ कर्णपिशाचिका देबि अतीतानागत बर्तमानबार्ता कथय मम कर्णे कथय कथय तथयं मुद्राबार्ता कथय कथय आगछागछ सत्यं सत्यं बद बद बागदेबि स्वाहा ।
मूल मंत्र रक्त चन्दन से लिखकर पंचाम्रूत इत्यादि से पूजा करें । एक लख्य जप कर होम करें ।
 
3) मंत्र : ओम नम: कर्णपिशाचिनी मत्तकर्णि प्रबिश अतीतानागत बर्तमानं सत्यं सत्यं कथय मे स्वाहा। (इति षट्त्रिंशदखरो मंत्र:)
भूत भबिष्य द्रर्त मानबार्ता: सर्बा: कर्णे कथयति । आम्रपट्टे पर यंत्र लिख जप करें । यंत्र को सिरहाने रखकर सोयें स्वप्न में बार्ता कहें ।
 
4) मंत्र: ऑम कर्णपिशाचिनी पिंग्ललोंचने स्वाहा। ( इति पंच्दशाख्यरो मंत्र)
अस्य बिधानम : अस्य पुरश्चरण लख्यजप: तद्रूशांशतो होम: । तिलं भुत्क्बा एक भुत्किब्रतं कार्यम् । एबं क्रूतं मंत्र: सिद्धों भबति । देबी कर्णपिशाचिनी प्रसन्ना भबति । त्रैलोकस्यबार्ता कथयति । ब्रत कर, तिल की बस्तुओं से भोजन कर जप करें ।
 
5) (क) मंत्र: ओम अनबिंदे स्वाहा। इति षडखरो मंत्र: ।
(ख) मंत्र : ओम अनबिन्दे कर्णपिशाचि स्वाहा ।
अस्य बिधानम् – अमुमयुतं जपेदेकबिंशतिदिनं याबत् कर्णपिशाचिनी सिद्धा भबति । भूत भबिष्य बर्तमानबार्ता: सर्बा: कर्णे कथयति । 10000 जप करें ।
 
6) मंत्र : ओम बिश्वरुपे पिशाचि बद बद ह्रीं स्वाहा। इति पंचदशाख्यरो मंत्र: ।
अस्य कर्णपिशाचिनी प्रयोग (Karnapishachini Prayog) बिधानम् – लख्यं जपेत् दशांशतो होम: । एबं कृते मंत्र: सिद्धों भबति । सिद्धि मंत्रे प्रतिदिनं त्रिसह्स्त्रं जपेत् एकबिंशतिदिनं याबत् । तदा त्रैलोक्यबार्ता सर्बा कर्णे कथयति ।
 
7) मंत्र : ओम नम: कर्णपिशाचिन्यमोघ सत्यबादिनि मम कर्णे अबतर अबतरातीतानागत- बर्तमानानि दर्श्य दर्श्य मम भबिष्यं कथ्य कथ्य ह्रीं कर्णपिशाचि स्वाहा । ( इति पंचषष्ठयखरो कर्णपिशाचिनी प्रयोग (Karnapishachini Prayog) मंत्र)
 
अस्य कर्णपिशाचिनी प्रयोग (Karnapishachini Prayog) बिधानम : त्रिशुल की पूजा सुबह घृतका से और रात में घृत तेल दोनों का दीपक जलाकर करें । कर्णपिशाचिनी प्रयोग मंत्र सिद्ध करने के लिए सबा लख्य जप करें । पीछे अशुचि हो बर वृक्ष के निचे बैठकर रात के समय सबा लाख जप करने से कान में शब्द आने लगता है, फिर उस समय साधक किसी बात को जानने की इछा करता है, उस समय कान में कर्णपिसाचिनी देबी उसके प्रश्न का उत्तर देती है ।

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जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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