कर्णपिशाचिनी तामस मंत्र क्या है ?

1) मंत्र : “ओम कं ह्रीं प्राणकर्षणमालोकितेन बिश्वरुपी पिशाची बद बद ई ह्रीं स्वाहा ।”
अस्य बिधानम् – पखैकं दशसाहस्त्रं जपित्वा पिण्डदानेन सिद्धयति भूत भबिष्य बर्तमानदातां कथयति ।
 
2) अन्यत्र मंत्रो यथा : “ओम ऐं ह्रीं श्रीं दुं हुं फट् कनक बज्र बैडूर्यमुक्तालंकृत भूषणे एहि एहि आगछ आगछ मम कर्णे प्रबिश्य भूत भबिष्य बर्तमान काल ज्ञान दूर दृष्टि दूरश्रबणं ब्रूहि ब्रूहि अग्नि स्तंभनं शत्रु स्तंभनं सत्रुमुख स्तंभनं सत्रुगति स्तंभनं सत्रुमति स्तंभनं परेषां गतिं मतिं सर्बशत्रूणां बाग्जुंभण स्तंभनं कुरु कुरु शत्रुकार्य हानिकरि मम कार्यसिद्धि करि शत्रुणामुधोग बिध्वंसकरि बीर चामुंडिनि हाटक धारिणि नगरी पुरी पट्टण्स्थानसंमोहिनि असाध्य साधिनि ओम श्रीं ह्रीं ऐं ओम देबि हन हन हुं फट् स्वाहा।इति मंत्र:”
 
अस्य बिधानम : इमं मंत्रमयुतं जपेत सिद्धि: । सर्ब कर्णे कथयति श्त्रुत्राशयति सर्बकार्याणि सिद्धयंति ।
 
यह देबि अघोर क्रिया गत नहीं है । बलि प्रयोग हबनदि कर्म करके करें । कर्णपिशाचिनी तामस मंत्र (Karnapishachini Tamas Mantra) साधना प्रयोग में ही करें ।
 
3) मंत्र :” ओम नम: कर्णपिशाचिनि अमोघ्सत्यबादिनि मम कर्णे अबतराबतर अतीतानागतबर्त्मानानि दर्श्य दर्श्य मम भबिष्यं कथय कथय ह्रीं कर्णापिशाचिनी स्वाहा ।”
 
अस्य बिधानम : दिन मे त्रिशुल का पूजन कर घृत का दीपक जलायें । मंत्र का जप ग्यारह सौ बार करें । इसके पश्चात् रात में इसी तरह त्रिशुल का पुजन कर घृत और तेल दोनों दीपक जलाकर ग्यारह सौ बार मंत्र का जप करें । ऐसा करने से ग्यारह दिन के अन्दर प्रशन का उत्तर स्वप्न द्वारा अबश्य देती है, इसमें कोई सन्देह नहिं है । प्रत्यख्य करने हेतु अधिक समय तक जप करें । बलि प्रदान करें, प्रकट होने पर बाचा सिद्धि प्राप्त हो ।
 
4) मंत्र : “ओम नम: कर्णपिशाचिनी मत्त्करिणि प्रबेषे अतीतानागत बर्तमानानि सत्यं कथय मे स्वाहा।”
 
अस्य कर्णपिशाचिनी तामस मंत्र (Karnapishachini Tamas Mantra) बिधानम : रात्रि में आम्र के पट्टटे पर गुलाल बिछाकर इस मंत्र को अनार की कलम से एक सौ आठ मंत्र लिखकर मिटाते जायें । मंत्र का उच्चारण लिखते समय भी करते जायें । अन्त बाले मंत्र का पंचोपचार पूजन करके ग्यारह सौ बार मंत्र लिखकर जप करें । इसके बाद मंत्र लिखे हुए पट्टे को सिराहने रखकर सो जायें । साधक को ऐसा करने पर इककीस दिन के भीतर प्रश्न का उत्तर यथोचित ठीक-ठीक स्पष्ट बचनौं से स्वप्न में देती है । इसमें कोई सन्देह नहीं । यह कर्णपिशाचिनी तामस मंत्र (Karnapishachini Tamas Mantra) सिद्ध प्रयोग साधकों द्वारा कई बार अनुभब किया हुआ है, इसमें कोई सन्देह नहीं है । यदि पलंग के ऊपर पांच सौ मंत्रों को जपकर दीबाली या होली या ग्रहण से प्रारम्भ करके सोया करे, तो अबश्य ही साधक के प्रश्न का उत्तर देती है अथबा कई तरह की बातों से अबगत करती है, परीख्या कर देखें ।
 
5) मंत्र : “ओम ह्रीं स: नमो भगबती कर्णपिशाचिनि चंडबेगिनि बद बद स्वाहा।”
 
अस्य बिधानम : पूर्बसेबायुतं ज्त्बा कृष्णकन्याभिमंत्रित: । हस्तपादप्रलेपन सुतौ बक्ति शुभाशुभम । त्रैलोकये याद्दशो कथयेत्फ्ल्म् । इति षडिग्शत्यख्यर कर्णपिशाचिनी तामस मंत्र (Karnapishachini Tamas Mantra) प्रयोग: । संन्तुष्ट करने के लिए काली कत्या का पूजन करें ।
 
6) मंत्र :” ओम हंसोहंस: नमो भगबति कर्णपिशाचिनी चंडबेगिनि स्वाहा।”( इति चतुबिशत्यख्यरो मंत्र ।)
 
अस्य बिधानम : पूर्बसेबायुतं जप्त्बा कुष्ठकल्काभिमंत्रितम् । हस्तपादप्रलेपन स्वप्ने बक्ति शुभाशुभम् । त्रैलोकये यादृशी बार्ता तादृशं कथयेत्फ्लम् । पूजन लाल कूष्ट के टुकडे पर करें ।
 
7) मंत्र : “ओम भगबति चंडकर्णपिशाचिनी स्वाहा । “( इति सप्तदशाख्यरो मंत्र )
अस्य कर्णपिशाचिनी तामस मंत्र (Karnapishachini Tamas Mantra) बिधानम् : पूर्बसेबपयुतं जत्बा कृत्बा होमं दशांशत: । घृतात्कै रक्तकुष्ठैश्च (लाल कूट) पुर्णाते च पुनर्जपेत् । आपादातं लिपेद्गात्रं रात्रो मंत्र: सपुचेरत् । याबात्रिद्राबशं यति स्वप्न दत्ते च सागता । बांछित यच्छुभं किंचित्स्यातिसिद्ध बा न सिद्धपाते ।

ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641 {Call / Whatsapp}

जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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