अघोर स्तम्भन प्रयोग के सिद्ध मंत्र

Aghor Stambhan Prayog Ke Siddhi Mantra :

सभी सम्प्रदायों और धर्मों में मंत्र -तंत्र -यंत्र के द्वारा षट्कर्मों के सम्पादन की बात एक ही ढंग से कही जाती है । कहीं -कहीं षट्कर्मों के स्थान पर अष्टकर्मों अथबा कुछ और अधिक कर्मों का बर्गीकरण किया गया है । मूलत: षट्कर्मों का उल्लेख ही प्राय: देखने में आता है । इन षट्कर्मों में एक है स्तम्भन प्रयोग , स्तम्भन प्रयोग से आप किसी की गति को रोक सकते हो , निष्क्रिय या स्तिर भी कर सकते हो , किसी अस्त्र- शस्त्र को यथा स्थिति कर देना , अग्नि अथबा बायु की शक्ति को , जल के प्रबाह को रोक देना , किसी की बुद्धि और बिबेक अथबा मुख को बाँध देना आदि कर्म “स्तम्भन कर्म ” कहे जाते हैं । आगे चलकर हम बात करेंगे “अघोर स्तम्भन प्रयोग (Aghor Stambhan Prayog) ” के बारे में …
यंहा पर एसा कुछ प्रयोग के बारे में बताया गया है , जो अघोर पंथ से जुडा है ..जो कभी भी निष्फल हुआ ही नही । अगर आप चारो तरफ से शत्रु से पीड़ित हो , जीने की कोई राह आपको दिखाई नहीं दे रहा है । आपको कहीं पर भी सहायता नही मिल रहा है । आप पूर्ण रूप से निसहाय हो .. उसी स्तिति में आप ये अघोर स्तम्भन प्रयोग (Aghor Stambhan Prayog) को अपना सकते हो । और ये प्रयोग उसी समय रामबाण की तरह आपको सहायता करेगा । कुछ प्रयोग में मंत्र का प्रयोग करना पड़ता है । मंत्र को सिद्धि करने के लिए आप किसी ग्रहण काल में या फिर सिद्धि योग में सिद्धि करके अघोर स्तम्भन प्रयोग (Aghor Stambhan Prayog) को आजमा सकते हो ।
(क) हल्दी या हरतालसे भोजपत्र पर अभिलाषित पुरुष्कि मुर्ति काढ पिले रण्ड्के सुत्र से लपेट इस मुर्ति को पथर पर बांध कर रखे , एसा करने से वह पुरुष अघोर स्तम्भन प्रयोग (Aghor Stambhan Prayog) के प्रभाब से कंहीं पर भी न जा सकेगा ।
(ख) चमार और धोबी की नांद से मेल इकठ्ठा कर,चंण्डाल स्त्री के हैजके कपड़ा से पोट्ली बनाबे । यह पोट्ली जिसके आगे फेक दी जायेगा तो अघोर स्तम्भन प्रयोग (Aghor Stambhan Prayog) के प्रभाब से वो उठने की शक्ति से हीन हो जायेगा ।
(ग) जिस स्थानमे गाय, मेढे, घोडे और हाथी बांधते है, वंहा पर चारो तरफ ऊट् की हडी को जमिन मे दवा देने से अघोर स्तम्भन प्रयोग (Aghor Stambhan Prayog) की प्रभाब देखने को मिलेगा और सब जानबरो की चाल रुक जाएगा ।
(घ) भोजपत्र पर केशर से सत्रु के नामके साथ एक रास्ता बनाबे । उस्को नीले डोरे से पुर रखे । नीचे लिखा मंत्र पढ्ना चाहिये । इस प्रकार करने से सत्रु का निस्चय ही स्तम्भन हो जायेगा । {{मंत्र : ऑम सहबलेशाय स्वाहा }}
(ङ) भोजपत्र पर हलदी से चहीते आदमीकी तीस बीर बनाबे । पीले डोरे से लपेट्कर पीले फुलो से उसकी पूजा करे फिर यह डोरा दो पथरो से दाबदे । पुरुष का बोल बंध जायेगा ।
(च) नीचे लिखे हुए मंत्र से सात पथरिये ग्रहण करके उनमे से तीन पथरिये कमर मे बांध और चार पथरिये दोनो मुठियो मे लेबे । एसा करने से चोर की गति रुक जायेगी । {{मंत्र : “ओम नमो ब्रह्मा बेसरि रख्य ठे: ठे: !”}}
(छ) केतकी की जड शिर पे और नेत्रो मे लगाने से सत्रुओ की चाल रुक जाती है ।
(ज) पुष्यनक्षत्र मे आक्न्द की जड उखाड्कर उसे एक कोडी मे भरकर किसी फल के बीच रखे । लडाइ के बक्त उस फलको मुख मे रखने से किसी प्रकार दुश्मन का अस्त्र अंग मे नही लगेगा ।
(झ) मेढ्क की चर्बी के साथ नीम की छाल पीस्कर शरीर  मे लगाबे, अग्नि रुक जायेगि अर्थात उस्का असर शरीर पर न होगा ।
(ञ) भांगरा , केले की जड, मेढक की चर्बी इन तीनो को इकठा कर मंन्दी आंचमे पकाबे ।इस्को लगा कर जलती हुइ आगपर भी चला जा सकता है ।
(ट) क्रुक्लासका दाया हाथ त्रिलोह्से घिरकर मुन्हमे रखले । इस्के लिये “ ओम अत्रये उद स्वाहा “ यह मंत्र पढे । इस्को पढकर आदमी जलमे फिरा करे डुबेगा नही ।
(ठ) पुष्यनक्षत्र मे सफेद चोट्ली की जड लाकर कुसुम के फुलो के रसमे पीसे और उससे कपडे का एक टुकडा रंगे । ईस कपडे को अंगमे पहन कर जब तक इछा हो जलमे रहे, डुबेगा नहि ।
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