मंत्र :
“आदिनाथ कैलास निवासी, उदयनाथ काटे जम फांसी। सत्यनाथ सारणी संत भाखे, संतोषनाथ सदा संतन की राखे। कन्थडिऩाथ सदा सुख दायी, अचती अचम्भेनाथ सहायी। ज्ञान पारखी सिद्ध चौरंगी, मच्छेन्द्रनाथ दादा बहुरंगी। गोरखनाथ सकल घट व्यापी, काटे कलिमल तारे भव पीड़ा। नव नाथों के नाम सुमिरिये, तनिक भस्मि ले मस्तक धरिये। रोग शोक दारिद्र नशावे, निर्मल देह परम सुख पावे। भूत प्रेत भय भञ्जना, नव नाथों के नाम। सेवक सुमिरे चन्द्रनाथ, पूर्ण होय सब काम।”
ग्रहण, संक्रांति या किसी अन्य शुभ समय में उक्त मंत्र का 1008 जप कर लें । फिर दशांश हवन कर भस्म को सुरक्षित रख लें । किसी भी संकट, विशेष कार्य, रोग-शोक आदि होने पर मंत्र का एक से पांच बार तक जप कर मस्तक पर भस्म लगा लें । कार्य अवश्य सिद्ध होगा। यदि जीवन में कोई गंभीर संकट उपस्थित हो गया हो तो स्नान के बाद गीले शरीर में ही उक्त मंत्र का तीन बार जप कर लें । पंद्रह दिन में समस्या का निराकरण हो जाएगा । ध्यान रहे कि इस गुरुमंत्र साधना (guru mantra sadhna) का अकारण प्रयोग या जप उचित नहीं है । इसके बदले गुरु गोरखनाथ सहित सभी नौ गुरुओं का ध्यान, प्रणाम करना ही उचित होगा ।
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जय माँ कामाख्या