बीमारि : बास्तु ज्योतिष में ग्रहों तथा बिभिन्न रंगों के तारतम्य हो जोड़ने पर बल दिया गया है क्योंकि इनमें हुआ असंतुलन ही बीमारियों का मूल कारण है ।
वैसे तो रंग तथा बिभिन्न बीमारियों पर उनका तरह –तरह से उपयोग ‘फोटो मेडिसन ’ के अंतर्गत आज सर्बबिदित है । परन्तु इनमें भी सबसे अधिक चर्चित, सर्बसुलभ तथा सस्ता बास्तु शास्त्र के अंतर्गत रंगों का चुनाब करना ही है । कुछ बीमारियों के लिए लाभदायक रंग लिख रहा हूँ । इनका प्रयोग रंगाई – पुताई के साथ – साथ अपने नित्य प्रयोग होनेबाले कपड़ों आदि में भी कर सकते हैं ताकि अधिक से अधिक इन रंगों का समाबेश आपके भबन तथा शरीर पर हो सके और आप दुर्भाग्य को दूर भगा सके –
१. बैगनी रंग का प्रभाब सीधा दमे और अनिद्रा के रोगी पर पड़ता है । अर्थराईटिस, गाउट्स, ओंडिमा तथा प्रत्येक प्रकार के दर्द में यह सहायक है । जहाँ मच्छरों का अधिक प्रकोप होता है बहाँ बैगनी रंग सहायक है । इसका सीधा प्रभाब शरीर में पोटोशियम की न्यूनता को दूर करता है ।
२. शरीर में शिथिलता – नपुसंकता बीमारि के लिए सिंदूरी रंग गुणकारी है ।
३. शरीर में त्वचा सम्बन्धी रंगों में नीला अथबा फिरोजी रंग अच्छा कार्य करता है ।
४. जो बच्चे पढाई से जी चुराते है अथबा अल्प बुद्धि के होते है उनके कमरे लाल अथबा गुलाबी रंग के करबाएं उनकी एकाग्रता बढ़ेगी तथा शैतानी कम होगी ।
५. पीला रंग ह्रदय संस्थान तथा स्नायु तंत्र को नियंत्रण करता है । तनाब, उन्माद, उदासी, मानसिकता दुर्बलता तथा अम्ल पित्त जनित रोगों में भी सहायक है । मस्तिष्क को सक्रिय करने का इस रंग में बिलक्षण गुण है । इसलिए बिद्यार्थी तथा बौद्धिक बर्ग के लोगों के कमरे पीले रंग के रखबाया करें ।
६. हरा रंग दृष्टिबर्द्धक है । उन्माद को दूर कर यह मानसिक शान्ति प्रदान करता है । घाब को भरने में यह जादू सा असर करता है परन्तु ऊतकों और पिट्यूटरी ग्रंथि पर इस रंग का प्रभाब बिपरीत भी हो सकता है ।
७. पेट से संबधित बीमारी के रोगी आसमानी रंग को जीबन में उतारे ।
८. नारंगी रंग तिल्ली, फेफड़ों तथा नाडियों पर प्रभाब डालकर उन्हें सक्रीय बनाता है । यह रंग रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है ।
९. लाल रंग भूख बढाता है । सर्दी, जुकाम, रक्तचाप तथा गले के बीमारि में भी यह रंगों महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
१०. पक्षाघात बाले रोगियों को सफ़ेद पुते कमरे में रखनें तथा अधिकाधिक सफ़ेद परिधान प्रयोग करबाने से चमत्कारिक रूप से लाभ मिलता है ।
आज बिश्वब्यापी स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है की रंगों में ‘ईथर’ की प्राणतत्व की ऐसी अनेकानेक सूक्ष्म शक्तियां सन्निहित है जिनका उपयोग कर हम स्वास्थ लाभ तो कर सकते हैं, अनन्त अन्य शक्तियों के स्वामी भी बन सकते हैं । आबश्यकता केबल रंग – बर्ण भेद को ठीक ठीक समझने की है, उनके समायोजन की बिधि –ब्यबस्था जानने की है और उन्हें अपने जीबन में उतारने की है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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